रेल जोड का अनुरक्षण -
(1)फिश प्लेट हेड जोडो के अनुरक्षण के लिए विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है जिससे की रेल की अच्छी लाइफ तथा साथ-2 अच्छी रनिंग प्राप्त की जा सकती है
(2) जोड का दक्ष अनुरक्षण निम्न बात पर निर्भर करता है -
(क) फास्टनिग की दक्षता पर ।
(ख) स्लीपरों की स्पेसिंग तथा पैकिंग की दक्षता पर ।
(ग) सही फैलाव जगह तथा उसके अनुरक्षण पर ।
(घ) जोडो के उचित स्नेहन पर ।
(छ) उचित जलनकास
रेल जोडो में खराबी -
रेल जोडो में पायी जाने वाली कुछ प्रमुख खराबियों और उन कमियों को दूर करने या कम करने के लिए सुझाए गये उपाय नीचे दिए गए है -
(क) लूज स्लीपर - चपटे तल वाले स्लीपरों के मामले में शावेल पैकिंग द्वारा जोडो के अनुरक्षण से जोडो की हालत में सुधार होता है।बीटर पैकिंग द्वारा पारम्परक अनुर के मामले म यह सुनिश्चत किया जाना चाहिए की स्लीपर झुक न जाए
(ख) ढीली फिश प्लेट - मानक स्पैनर का उपयोग करके फिश बोल्ट कसे हुए रखे जाने चाहिए परन्तु उन्हें इतना अधिक न कसा जाए क रल का फैलाव या संकुचन न हो सके ।
(ग) फिशिग सत हो पर फिश प्लेट और रेलो का घिस जाना - जब रेलऔर फश प्लेट के फिशिग तल घिस जाते है तो जोड नीचे की ओर झुक जाता है सामान्य: घिसाव फिश प्लेट के उपर भाग के मध्य में सबसे अधिक और उसके सिर पर सबसे कम होताहै। फिशिंग तल के घिसाव की क्षतिपूर्ति के लिए दो प्रकार के साधन उपयोग मे लाये जाते हैं
(1) पुन: दाब दी गई फिश प्लेट
(2) शूंडाकार पर्णिका(टेपर्ड शिम ):
(1) पुन: दाब दी गई फिश प्लेटे - द्रमत फिशप्लेट वे होती है जो गर्म फॉर्ज की जाती है ताकि वे सबसे अधिक घिसाव के अनुरूप फिशप्लेट के मध्य भाग में उभार सके
(2) शुंडाकार पर्णिका- शूंडाकर पर्णिका इस्पात के टूकडे होते है जिन्हे ऊपरी फिशिंग सतहों के बीच घिसाव के समान्य पैटर्न के अनुरूप बनाया जाता है ये विभिन्न मोटाई यो में बनाये जाते है । प्रत्येक टुकडे काआकार फिशिंग सतह के बीच मिमी में घिसाई के 10 के गुणज मे बनाया जाताहै। पर्णिका की मोटाई 1.5 मिमी से लेकर 3.8 मिमी तक 0.5 मिमी के क्रम मे भिन्न भिन्न होती है । पर्णिकाओं लम्बाई रेल के विभिन्न खंडो के वास्ताविक घिसाव पैटर्न के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए पर्णिकाओं की मोटाई घिसाव के अनुरूप एक दूसरे से कम होती जाती है
(घ) रेल के सिरों का बैटर हो जाना : जोड स्लीपर की मजबूती से पैकिंग करके और फैलाव के लिए उचित स्थान बनाये रखने से रेल को बैटर होने से बचाया जा सकता है । रेल के बैटर हुए सिरों को स्पॉट विल्डिंग द्वारा मरम्मत की जा सकती है । सिरों कांट-छांट द्वारा भी इसमें सुधार किया जा सकतहै।
(ड) हॉग्ड रेल जोड़ विउत्लन - डी - हगिंग मशीन द्वारा विउत्लन किया जा सकता है । रेल के सिर का विउत्लन मापी हुई शावेल पैकिंग द्वारा किया जा सकता है साधारणत: इस पध्दति में जो स्लीपर के जोड के झुकाव और स्लीपर के नीचे खाली स्थान को ध्यान में रखते हुए स्कंध स्लीपरों की पैकिंग किए बिना सामान्य उंचाई से उपर एक विनिर्दिष्ट उंचाई तक पैक कया जाता है लगभग दो दिन तक यातायात को गुजरने दिए जाने के बाद स्कन्ध स्लीपरों को उठाये बना पैक कर दिया जाता है । जोड़ो के उपर से यातायात के गुजरने से विउत्लन (डी - हगिंग) प्रभावित होता है ।पुनः दाब दी गई फिश प्लेट के उपयोग से उतलन रेल जोड को सुधारने में सहायता मिलतीहै। उत्लन की मरम्मत रेल के सिरों की कांट-छाँट द्वारा भी क जा सकती है
(च) टूट हुई फिश प्लेट - टूटी हुई या चटकी हुई फिश प्लेट के स्थान पर नयी या मरम्मत की हुई फिश प्लेट लगायी जाये ।
(छ) चटके हुए या टूटे हुए रेल सिरे - रेल के सर पर फिश बोल्ट और बॉन्ड हो रेल को कमजोर कर देते है।यदि अनुरक्षण ठीक न हो तो रेल के सिरे टूट जाते है।यह विभंजन सदैव फिशबोल्ट या बॉन्ड हो से सूक्ष्म दरार के रूप में शुरू होता है । रेल जोड के स्नेहन के दौरान छोटे -मोटे दरार के लिए रेल को बदल दिया जाए ।बोल्ट छिद्रो और बॉन्ड हॉल की चेम्फरिंग की जानी चाहिए । रेल के अल्ट्रासॉनक परण से दरार का पता लगाने म सहायता मिलती है जिनका आंखो से देखकर पता लगाना कठिन होता है।
(ज) जोड़ो की पम्पिंग - मानसून के तुरंत बाद ऐसे जोड से मिट्टी हटा दी जानी चाहिए फार्मेशन के ऊपरी सतह पर सेण्ड ब्केटंग की जानी चाहिए । इससे मिट्टी के गारे का उपर बढना रूक जायेगा । इस ब्लकेट की तह पर स्वच्छ और पयार्प्त गिट्टी बिछी । पहले और दुसरे स्कन्ध स्लीपर के बीच आर पार जल निकासी नालियों की व्यवस्था की जानी चाहिए ।जिओटेक्सटाल का उपयोग भी लाभप्रद रहेगा जोडो के अनु रक्षण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे -
(क) गैपो का सर्वेक्षण आवधिक रूप से किया जाना चाहिए और गैप को एडजस्ट किया जाये
(ख) धातु के स्लीपर वाले मार्ग पर फिश प्लेट वाले जोडो पर लकडी के स्लीपर का उपयोग वांछनीय है।
(ग) जहां एसडब्लूआर के लए सभी अन्य बात संतोषजनक हो , वहां साधारण फिशप्लेट वाले रेलपथ को तीन रेल पैनल में परिवर्तित किया जा सकता है
रेल में बोल्ट की छिद्रो चेम्फरिंग -
(क) सामान्य-
(1) बोल्ट छिद्रो क चेम्फरंग के कारण छीद्र का किनार (वर्क हर्डनिंग)हो जाताहैऔर इस तरहसे तारे कि आकृति में होने वालेदरार के निमार्ण में देर होतीहै।प्रत्येक छीद्र के चेम्फर 5 मिनट का समय लगताहै। ड्रिल द्वारा किए गए सभी छीद्र की चेम्फरंग जाएगी।
(2) विभंजन /टूट की प्रवृति वाले क्षेत्र में यदि छिद्र बढ़ा हुआ नहीं है तो ह बोल्ट की चेम्फरं करनी चाहिए ।बढे हुए छीद्र की , चेम्फरंग बट बोल्ट छीद्र सम्पूर्ण सतह के संपर्क में रहेगा और इस तरह से असमान कठोरता होगी प रिमस्वरूप कमजोर क्षेत्रो में प्रतिलंब केंद्रित होगा । इस तरह के रेल के हिस्से को हटा देना चाहिए और छिद्र करके चेम्फरंग करनी चाहिए
(ख)बोल्ट छिद्र की चेम्परिंग करने वाले उपकरण - बोल्ट छिद्र की वर्क हार्डनिंग अनुमोदित चेम्परिंग किट से करनी चाहिए । चेम्परिंग किट निम्नलिखित उपकरण का बना होता है -
(1) उच्च तन्य बोल्ट एम् -20 - 1 नग
(2) उच्च तन्य नट एम् -20 बोल्ट के लिए - 1 नग
(3) 2 एचएसएस शेम्फरिंग बिट का सेट - 1 सेट
(4) 19 वर्ग मिमी ड्राइव साकेट आकर 32 मिमी - 8 नग
(5) 2 पैकिंग के टुकडे का सेट (स्लीव ) - 1 सेट
(6) टी - 400 टॉर्क रिंच 1.25 मी लम्बाई की रैचेट मैकेनिज्म के साथ - 1 नग
(ग) (1) यदि परिस्थतियाँ मांग करे तो वेल्डित रेल पैनल में किए जाने वाले छिद्र की चैम्परिंग फ्लैश बट - वेल्ड सयंत्र में भेजने से पहले करना चाहिए ।
(2) यदि रेलपथ में रेल का अंतिम किनारा क्रॉप्ड हो तो नए बोल्ट छिद्र को चैफरिंग कार्यस्थल पर करनी चाहिए।
(3) इस्पात सयंत्र से सीधे प्राप्त की गई रेल में छिद्र को चैम्फरिंग रेलपथ में लगाने से पहले कर लेना चाहिए ।
(घ)बोल्ट छिद्र की चेम्फरिंग करने की कार्यविधि -
(1) उच्च तन्य बोल्ट के नटको हटाकर शेक टी पैकिंग पीस लगा देना चाहिए उसके बाद एचएसएस चेम्फरिंग बीट के एक भाग को लगाना चाहिए ।
(2) रेल छिद्र में उच्च तन्य रेल बोल्ट को दो टुकड़ो में घुसाते है
(3) रेल छिद्र के दूसरी तरफ एचएसएस चैम्फरिंग बिट का दूसरा हिस्सा बोल्ट के शैक घुसाते है।उसके बाद पैकिंग पीस का दसूरा हिस्सा लगाते है।
(4) उसके बाद उच्च तन्य स्टील बोल्ट में नट लगा दिया जाता है।
(5) टॉर्क रिंच को 52 किग्रा - मी आघूर्ण बल पर सेट करके जो की 12.5 टन के अक्षीय बल के समतुल्य है नट पर लगाया जाता है।नट को टॉर्क रिंच से कसते है। जैसे ही पूर्व निर्धारित आघूर्ण प्राप्त हो जाता है, टॉर्क रिंच स्वत: ही खुल जाएगा जो की पूर्ण कसाव का सूचक है।
(6) टॉर्क रिंच को उल्टी दशा टी घुमाकर नट को खोला जाता है और एचटीएस बोल्ट को निकाल लिया जाता है।यह विधि अन्य रेल छिद्र को चेम्फर करने लिए दोहराई जाती है।
(ड) प्रत्येक छिद्र की चेम्फरिंग मेट /चाबीवाले के पर्यवेक्षण में करनी चाहिए
रेल जोडो का स्नेह -
(1) रेल जोडो के स्नेहन का प्रयोजन न केवल रेल के ताप प्रसार को सहज करना है बिल रेल की जोड सतह और जोड पट्टी की निहित घिसाई रोकना भी है। जोड सतह पर कम घिसाई निचले जोडो से बचने का एक निवारक उपाय है।
(2)प्रयोग में लाये जाने वाले स्नेहक की किस्म मुख्य इंजी . द्वारा निर्दिष्ट करनी चाहिए । प्लम्बैग(ग्रेफाइट )और मिटटी के तेल की सख्त लेई, जो प्लम्बैग 3 किग्रा और मिट्टी तेल 2 किग्रा के अनुपात से बनती है, प्रयोग की जा सकती है। जोड बोल्ट और नट लिए काले तेल या रिक्लेम्ड तेल प्रयोग कया सकताहै। उपयुर्क्त के विकल्प प्रयोग मुख्य इ . के विशिष्ट अनुमोदन से किया जा सकता है
(3) सामान्य: रेल के सभी जोड पर वर्षा काल के बाद जाडे के महिनो में अक्टूबर से फरवरी मे एक कायर्क्रम के आधार पर वर्ष में एक लुब्रीकेशन किया जाना चाहिए लुब्रीकेशन अत्यधिक गरमी अत्यधिक सर्दी के समय नहीं किया जाना चाहिए । यार्दो मे मु ख्य इंजी . के अनुमोदन से इसकी अवधि बढाकर दो वर्ष की जा सकती है
(4) रेल जोडो के लुब्रीकेशन का काम प्रारंभ करने से पहले 150 मिमी . से अधिक सरकन को समायोजित करना चाहिए।
(5) रेल जोडो के लुब्रीकेशन सामान्यतः अहर्ता प्राप्त रेलपथ सुपरवाइजर के पर्यवेक्षण में गैंगो द्वारा किया जाना चाहिए ।यह कार्य रेलपथ निरीक्षण द्वारा प्रतिदिन जारी किये गये कॉशन आडर्र तथा इंजीनियरिंग सिग्नल दिखा कर किया जाना चाहिए । इस मामले में रेल जोडो के लुब्रीकेशन के लिए निम्नलिखित कार्यविधि अपनायी जाएगी.
(i) नटो को खोल दिया जाये तथा जोड बोल्टो और जोड पट्टियाँ हटा द जाऐ
(ii) उसके बादतार ब्रश से जोड पट्टी और रेल की जोड सतह को साफ किया जाए ।
(iii) रेल सिरों का दरारो के लिए निरीक्षण किया जाए तथा रेल और जोड पट्टीय की जोड़ सतह के घिसाव के लिए जाँच की जाए । रेल सिरों और जोड पट्टीयां में दरारों का पता लगाने के लिए एक आवर्धन लेन्स तथा एक दपर्ण का प्रयोग करना चाहिए
(iv) इसके बाद रेल और जोड पट्टीयां की जोड सतहो का लुब्रीकेशन किया जाए
(v) इसके बाद बोल्ट को प्रतिवर्त स्थिति में फिर लगाया जाए तथा मानक जोड बोल्ट स्पेनर से कसा जाए , अंदर के दो बोल्ट को पहले से कसा जाए ।
(vi) कसते समय बोल्टो पर जोर डालने से बचना चाहिए ।
(vii) दरार वाली जोड पट्टीयाँ और बोल्ट को बदलने के लिए अतिरिक्त जोड पट्टीयाँ बोल्ट उपलब्ध होने चाहिए
(6) विकल्प के रूप में लुब्रीकेशन का काम चाबी वाले को एक या अधिक आदमियों के सहायता से उन सेक्शन पर करना चाहिए जिन्हे मंडल इंजीनियर द्वारा निर्दिष्ट किया जाए । ऐसी स्थिति में चाबीवाले कार्य स्थल पर लाल झंडी दिखायेगा और चौकशी वाले के रूप में भी काम करेगा । इस कार्यविधि अंतगर्त सामान्य एकबार में एक से अधिक जोड नहीं खोला जाना चाहिए । इस मामले में रेल जोडो का लुब्रीकेशन तथा जो बोल्ट को लटने का काम निम्न प्रकार से किया जाना चाहिए -
(i) नटो को खोलकर और नटो की तरफ की जोड पट्टी हटा कर अन्य जोड पट्टी बोल्ट को उसी स्थिति में छोड़ दिया जाए
(ii) जोड पट्टी तथा रेल की जोड़ सतह को एक तार ब्रश से साफ किया जाए। रेल सिरों को दरार तथा रेल और जोड पट्टीयो की जोड सतह का घिसाव के लिए निरीक्षण किया जाए ।दरारों का पता लगाने के लिए एक दपर्ण और आवर्धन लेंस का प्रयोग किया जाना चाहिए ।आवश्यक कार्यवाही के लिए ऐसी स्थिति के सूचना रेलपथ मेट/ सुपरवाईजर को दी जानी चाहए । जोड पट्टी का लुब्रीकेशन करके फर से उसी स्थिति में लगा दया जाए ।
(iii) एक-एक जोडबोल्ट को निकलकर उनमें तले लगाकर फिर से लगा दिया जाये ।
(iv) रेल की अन्य जोड पट्टी तथा जोड सतह पर इसी प्रकार काम किया जाए
(v) नट को बदल; दिया जाए तथा बोल्ट पर बना अधिक दबाव डाले मानक जोड बोल्ट स्पैनर से उसे यथा संभव कस दिया जाए ।
(vi) आमने सामने के दो जोडो या क्रमीक जोडो को एक साथ नही खोलना चाहिए यह विशेष रूप से नोट करना चाहिए की इस कार्यवाही के दौरान किसी भी समय दो रेल को जोडने के लिए एक जोड पट्टी और बना नट वाले तीन जोड बोल्टो से कम नही रहने चाहिए ।आदमियों को काम करते समय रेलगाडी की ओर मुख करके बैठना चाहिये।
(vii) जब रेलगाडी कार्यस्थल की ओर आ रही हो तो दोनो जोड पट्टीया लगा देनी चाहिए और प्रत्येक जोड के दोनो तरफ का कम से कम एक जोड बोल्ट और नट कस देना चाहिये।
(viii) दरार पडी जोड पट्टी और बोल्टो के नवीकरण के लिए अतिरिक्त जोड पट्टी बोल्टो के अपने साथ ले जाना चाहिये।
(7) मु ख्य इंजी जैसा आवश्यक हो , सहायक अनुदेश जारी कर सकता है।
(8) जिस लंबाई में रेलों का लुब्रीकेशन किया जाये , तारीख सहित उस सेक्शन के गेंग चार्ट तथा रेलपथ निरीक्षक सेक्शन रिजस्टर में दर्ज कर लेना चाहिये अप्रैल माह में रेलपथ निरीक्षक को चाहिये की रेलो के जोडो को लुब्रीकेशन करने का प्रमाणपत्र तथा स्थान पर न लगा पाने के कारण सहायक इंजी.के पास भेजे।सहायक इंजी.को अभियुक्ति सहित इन प्रमाणपत्रो की प्रतिया छान बीन और रिकार्ड के लिए इंजीनयर को अग्रेषित की जानी चाहिये
(9) रेलपथ को पु न: बिछाने , रेलो के नवीकरण और टर्न आउट के नवीकरण इत्यादि संबंधी सभी कार्यो के लिये जोडो का लुब्रीकेशन करना चाहिये। यातायात के बोझ से जो पट्टीयो पर बल पडने के बाद लाईन जाकर बोल्टो को फर से कसने का महत्व कर्मचारियों के मन में बैठाया जाना चाहिये
(10) विद्युत् रोधी जोड़ पट्टीयो को ग्रीस नहीं लगानी चाहिये
(1) पुन: दाब दी गई फिश प्लेटे - द्रमत फिशप्लेट वे होती है जो गर्म फॉर्ज की जाती है ताकि वे सबसे अधिक घिसाव के अनुरूप फिशप्लेट के मध्य भाग में उभार सके
(2) शुंडाकार पर्णिका- शूंडाकर पर्णिका इस्पात के टूकडे होते है जिन्हे ऊपरी फिशिंग सतहों के बीच घिसाव के समान्य पैटर्न के अनुरूप बनाया जाता है ये विभिन्न मोटाई यो में बनाये जाते है । प्रत्येक टुकडे काआकार फिशिंग सतह के बीच मिमी में घिसाई के 10 के गुणज मे बनाया जाताहै। पर्णिका की मोटाई 1.5 मिमी से लेकर 3.8 मिमी तक 0.5 मिमी के क्रम मे भिन्न भिन्न होती है । पर्णिकाओं लम्बाई रेल के विभिन्न खंडो के वास्ताविक घिसाव पैटर्न के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए पर्णिकाओं की मोटाई घिसाव के अनुरूप एक दूसरे से कम होती जाती है
(घ) रेल के सिरों का बैटर हो जाना : जोड स्लीपर की मजबूती से पैकिंग करके और फैलाव के लिए उचित स्थान बनाये रखने से रेल को बैटर होने से बचाया जा सकता है । रेल के बैटर हुए सिरों को स्पॉट विल्डिंग द्वारा मरम्मत की जा सकती है । सिरों कांट-छांट द्वारा भी इसमें सुधार किया जा सकतहै।
(ड) हॉग्ड रेल जोड़ विउत्लन - डी - हगिंग मशीन द्वारा विउत्लन किया जा सकता है । रेल के सिर का विउत्लन मापी हुई शावेल पैकिंग द्वारा किया जा सकता है साधारणत: इस पध्दति में जो स्लीपर के जोड के झुकाव और स्लीपर के नीचे खाली स्थान को ध्यान में रखते हुए स्कंध स्लीपरों की पैकिंग किए बिना सामान्य उंचाई से उपर एक विनिर्दिष्ट उंचाई तक पैक कया जाता है लगभग दो दिन तक यातायात को गुजरने दिए जाने के बाद स्कन्ध स्लीपरों को उठाये बना पैक कर दिया जाता है । जोड़ो के उपर से यातायात के गुजरने से विउत्लन (डी - हगिंग) प्रभावित होता है ।पुनः दाब दी गई फिश प्लेट के उपयोग से उतलन रेल जोड को सुधारने में सहायता मिलतीहै। उत्लन की मरम्मत रेल के सिरों की कांट-छाँट द्वारा भी क जा सकती है
(च) टूट हुई फिश प्लेट - टूटी हुई या चटकी हुई फिश प्लेट के स्थान पर नयी या मरम्मत की हुई फिश प्लेट लगायी जाये ।
(छ) चटके हुए या टूटे हुए रेल सिरे - रेल के सर पर फिश बोल्ट और बॉन्ड हो रेल को कमजोर कर देते है।यदि अनुरक्षण ठीक न हो तो रेल के सिरे टूट जाते है।यह विभंजन सदैव फिशबोल्ट या बॉन्ड हो से सूक्ष्म दरार के रूप में शुरू होता है । रेल जोड के स्नेहन के दौरान छोटे -मोटे दरार के लिए रेल को बदल दिया जाए ।बोल्ट छिद्रो और बॉन्ड हॉल की चेम्फरिंग की जानी चाहिए । रेल के अल्ट्रासॉनक परण से दरार का पता लगाने म सहायता मिलती है जिनका आंखो से देखकर पता लगाना कठिन होता है।
(ज) जोड़ो की पम्पिंग - मानसून के तुरंत बाद ऐसे जोड से मिट्टी हटा दी जानी चाहिए फार्मेशन के ऊपरी सतह पर सेण्ड ब्केटंग की जानी चाहिए । इससे मिट्टी के गारे का उपर बढना रूक जायेगा । इस ब्लकेट की तह पर स्वच्छ और पयार्प्त गिट्टी बिछी । पहले और दुसरे स्कन्ध स्लीपर के बीच आर पार जल निकासी नालियों की व्यवस्था की जानी चाहिए ।जिओटेक्सटाल का उपयोग भी लाभप्रद रहेगा जोडो के अनु रक्षण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे -
(क) गैपो का सर्वेक्षण आवधिक रूप से किया जाना चाहिए और गैप को एडजस्ट किया जाये
(ख) धातु के स्लीपर वाले मार्ग पर फिश प्लेट वाले जोडो पर लकडी के स्लीपर का उपयोग वांछनीय है।
(ग) जहां एसडब्लूआर के लए सभी अन्य बात संतोषजनक हो , वहां साधारण फिशप्लेट वाले रेलपथ को तीन रेल पैनल में परिवर्तित किया जा सकता है
रेल में बोल्ट की छिद्रो चेम्फरिंग -
(क) सामान्य-
(1) बोल्ट छिद्रो क चेम्फरंग के कारण छीद्र का किनार (वर्क हर्डनिंग)हो जाताहैऔर इस तरहसे तारे कि आकृति में होने वालेदरार के निमार्ण में देर होतीहै।प्रत्येक छीद्र के चेम्फर 5 मिनट का समय लगताहै। ड्रिल द्वारा किए गए सभी छीद्र की चेम्फरंग जाएगी।
(2) विभंजन /टूट की प्रवृति वाले क्षेत्र में यदि छिद्र बढ़ा हुआ नहीं है तो ह बोल्ट की चेम्फरं करनी चाहिए ।बढे हुए छीद्र की , चेम्फरंग बट बोल्ट छीद्र सम्पूर्ण सतह के संपर्क में रहेगा और इस तरह से असमान कठोरता होगी प रिमस्वरूप कमजोर क्षेत्रो में प्रतिलंब केंद्रित होगा । इस तरह के रेल के हिस्से को हटा देना चाहिए और छिद्र करके चेम्फरंग करनी चाहिए
(ख)बोल्ट छिद्र की चेम्परिंग करने वाले उपकरण - बोल्ट छिद्र की वर्क हार्डनिंग अनुमोदित चेम्परिंग किट से करनी चाहिए । चेम्परिंग किट निम्नलिखित उपकरण का बना होता है -
(1) उच्च तन्य बोल्ट एम् -20 - 1 नग
(2) उच्च तन्य नट एम् -20 बोल्ट के लिए - 1 नग
(3) 2 एचएसएस शेम्फरिंग बिट का सेट - 1 सेट
(4) 19 वर्ग मिमी ड्राइव साकेट आकर 32 मिमी - 8 नग
(5) 2 पैकिंग के टुकडे का सेट (स्लीव ) - 1 सेट
(6) टी - 400 टॉर्क रिंच 1.25 मी लम्बाई की रैचेट मैकेनिज्म के साथ - 1 नग
(ग) (1) यदि परिस्थतियाँ मांग करे तो वेल्डित रेल पैनल में किए जाने वाले छिद्र की चैम्परिंग फ्लैश बट - वेल्ड सयंत्र में भेजने से पहले करना चाहिए ।
(2) यदि रेलपथ में रेल का अंतिम किनारा क्रॉप्ड हो तो नए बोल्ट छिद्र को चैफरिंग कार्यस्थल पर करनी चाहिए।
(3) इस्पात सयंत्र से सीधे प्राप्त की गई रेल में छिद्र को चैम्फरिंग रेलपथ में लगाने से पहले कर लेना चाहिए ।
(घ)बोल्ट छिद्र की चेम्फरिंग करने की कार्यविधि -
(1) उच्च तन्य बोल्ट के नटको हटाकर शेक टी पैकिंग पीस लगा देना चाहिए उसके बाद एचएसएस चेम्फरिंग बीट के एक भाग को लगाना चाहिए ।
(2) रेल छिद्र में उच्च तन्य रेल बोल्ट को दो टुकड़ो में घुसाते है
(3) रेल छिद्र के दूसरी तरफ एचएसएस चैम्फरिंग बिट का दूसरा हिस्सा बोल्ट के शैक घुसाते है।उसके बाद पैकिंग पीस का दसूरा हिस्सा लगाते है।
(4) उसके बाद उच्च तन्य स्टील बोल्ट में नट लगा दिया जाता है।
(5) टॉर्क रिंच को 52 किग्रा - मी आघूर्ण बल पर सेट करके जो की 12.5 टन के अक्षीय बल के समतुल्य है नट पर लगाया जाता है।नट को टॉर्क रिंच से कसते है। जैसे ही पूर्व निर्धारित आघूर्ण प्राप्त हो जाता है, टॉर्क रिंच स्वत: ही खुल जाएगा जो की पूर्ण कसाव का सूचक है।
(6) टॉर्क रिंच को उल्टी दशा टी घुमाकर नट को खोला जाता है और एचटीएस बोल्ट को निकाल लिया जाता है।यह विधि अन्य रेल छिद्र को चेम्फर करने लिए दोहराई जाती है।
(ड) प्रत्येक छिद्र की चेम्फरिंग मेट /चाबीवाले के पर्यवेक्षण में करनी चाहिए
रेल जोडो का स्नेह -
(1) रेल जोडो के स्नेहन का प्रयोजन न केवल रेल के ताप प्रसार को सहज करना है बिल रेल की जोड सतह और जोड पट्टी की निहित घिसाई रोकना भी है। जोड सतह पर कम घिसाई निचले जोडो से बचने का एक निवारक उपाय है।
(2)प्रयोग में लाये जाने वाले स्नेहक की किस्म मुख्य इंजी . द्वारा निर्दिष्ट करनी चाहिए । प्लम्बैग(ग्रेफाइट )और मिटटी के तेल की सख्त लेई, जो प्लम्बैग 3 किग्रा और मिट्टी तेल 2 किग्रा के अनुपात से बनती है, प्रयोग की जा सकती है। जोड बोल्ट और नट लिए काले तेल या रिक्लेम्ड तेल प्रयोग कया सकताहै। उपयुर्क्त के विकल्प प्रयोग मुख्य इ . के विशिष्ट अनुमोदन से किया जा सकता है
(3) सामान्य: रेल के सभी जोड पर वर्षा काल के बाद जाडे के महिनो में अक्टूबर से फरवरी मे एक कायर्क्रम के आधार पर वर्ष में एक लुब्रीकेशन किया जाना चाहिए लुब्रीकेशन अत्यधिक गरमी अत्यधिक सर्दी के समय नहीं किया जाना चाहिए । यार्दो मे मु ख्य इंजी . के अनुमोदन से इसकी अवधि बढाकर दो वर्ष की जा सकती है
(4) रेल जोडो के लुब्रीकेशन का काम प्रारंभ करने से पहले 150 मिमी . से अधिक सरकन को समायोजित करना चाहिए।
(5) रेल जोडो के लुब्रीकेशन सामान्यतः अहर्ता प्राप्त रेलपथ सुपरवाइजर के पर्यवेक्षण में गैंगो द्वारा किया जाना चाहिए ।यह कार्य रेलपथ निरीक्षण द्वारा प्रतिदिन जारी किये गये कॉशन आडर्र तथा इंजीनियरिंग सिग्नल दिखा कर किया जाना चाहिए । इस मामले में रेल जोडो के लुब्रीकेशन के लिए निम्नलिखित कार्यविधि अपनायी जाएगी.
(i) नटो को खोल दिया जाये तथा जोड बोल्टो और जोड पट्टियाँ हटा द जाऐ
(ii) उसके बादतार ब्रश से जोड पट्टी और रेल की जोड सतह को साफ किया जाए ।
(iii) रेल सिरों का दरारो के लिए निरीक्षण किया जाए तथा रेल और जोड पट्टीय की जोड़ सतह के घिसाव के लिए जाँच की जाए । रेल सिरों और जोड पट्टीयां में दरारों का पता लगाने के लिए एक आवर्धन लेन्स तथा एक दपर्ण का प्रयोग करना चाहिए
(iv) इसके बाद रेल और जोड पट्टीयां की जोड सतहो का लुब्रीकेशन किया जाए
(v) इसके बाद बोल्ट को प्रतिवर्त स्थिति में फिर लगाया जाए तथा मानक जोड बोल्ट स्पेनर से कसा जाए , अंदर के दो बोल्ट को पहले से कसा जाए ।
(vi) कसते समय बोल्टो पर जोर डालने से बचना चाहिए ।
(vii) दरार वाली जोड पट्टीयाँ और बोल्ट को बदलने के लिए अतिरिक्त जोड पट्टीयाँ बोल्ट उपलब्ध होने चाहिए
(6) विकल्प के रूप में लुब्रीकेशन का काम चाबी वाले को एक या अधिक आदमियों के सहायता से उन सेक्शन पर करना चाहिए जिन्हे मंडल इंजीनियर द्वारा निर्दिष्ट किया जाए । ऐसी स्थिति में चाबीवाले कार्य स्थल पर लाल झंडी दिखायेगा और चौकशी वाले के रूप में भी काम करेगा । इस कार्यविधि अंतगर्त सामान्य एकबार में एक से अधिक जोड नहीं खोला जाना चाहिए । इस मामले में रेल जोडो का लुब्रीकेशन तथा जो बोल्ट को लटने का काम निम्न प्रकार से किया जाना चाहिए -
(i) नटो को खोलकर और नटो की तरफ की जोड पट्टी हटा कर अन्य जोड पट्टी बोल्ट को उसी स्थिति में छोड़ दिया जाए
(ii) जोड पट्टी तथा रेल की जोड़ सतह को एक तार ब्रश से साफ किया जाए। रेल सिरों को दरार तथा रेल और जोड पट्टीयो की जोड सतह का घिसाव के लिए निरीक्षण किया जाए ।दरारों का पता लगाने के लिए एक दपर्ण और आवर्धन लेंस का प्रयोग किया जाना चाहिए ।आवश्यक कार्यवाही के लिए ऐसी स्थिति के सूचना रेलपथ मेट/ सुपरवाईजर को दी जानी चाहए । जोड पट्टी का लुब्रीकेशन करके फर से उसी स्थिति में लगा दया जाए ।
(iii) एक-एक जोडबोल्ट को निकलकर उनमें तले लगाकर फिर से लगा दिया जाये ।
(iv) रेल की अन्य जोड पट्टी तथा जोड सतह पर इसी प्रकार काम किया जाए
(v) नट को बदल; दिया जाए तथा बोल्ट पर बना अधिक दबाव डाले मानक जोड बोल्ट स्पैनर से उसे यथा संभव कस दिया जाए ।
(vi) आमने सामने के दो जोडो या क्रमीक जोडो को एक साथ नही खोलना चाहिए यह विशेष रूप से नोट करना चाहिए की इस कार्यवाही के दौरान किसी भी समय दो रेल को जोडने के लिए एक जोड पट्टी और बना नट वाले तीन जोड बोल्टो से कम नही रहने चाहिए ।आदमियों को काम करते समय रेलगाडी की ओर मुख करके बैठना चाहिये।
(vii) जब रेलगाडी कार्यस्थल की ओर आ रही हो तो दोनो जोड पट्टीया लगा देनी चाहिए और प्रत्येक जोड के दोनो तरफ का कम से कम एक जोड बोल्ट और नट कस देना चाहिये।
(viii) दरार पडी जोड पट्टी और बोल्टो के नवीकरण के लिए अतिरिक्त जोड पट्टी बोल्टो के अपने साथ ले जाना चाहिये।
(7) मु ख्य इंजी जैसा आवश्यक हो , सहायक अनुदेश जारी कर सकता है।
(8) जिस लंबाई में रेलों का लुब्रीकेशन किया जाये , तारीख सहित उस सेक्शन के गेंग चार्ट तथा रेलपथ निरीक्षक सेक्शन रिजस्टर में दर्ज कर लेना चाहिये अप्रैल माह में रेलपथ निरीक्षक को चाहिये की रेलो के जोडो को लुब्रीकेशन करने का प्रमाणपत्र तथा स्थान पर न लगा पाने के कारण सहायक इंजी.के पास भेजे।सहायक इंजी.को अभियुक्ति सहित इन प्रमाणपत्रो की प्रतिया छान बीन और रिकार्ड के लिए इंजीनयर को अग्रेषित की जानी चाहिये
(9) रेलपथ को पु न: बिछाने , रेलो के नवीकरण और टर्न आउट के नवीकरण इत्यादि संबंधी सभी कार्यो के लिये जोडो का लुब्रीकेशन करना चाहिये। यातायात के बोझ से जो पट्टीयो पर बल पडने के बाद लाईन जाकर बोल्टो को फर से कसने का महत्व कर्मचारियों के मन में बैठाया जाना चाहिये
(10) विद्युत् रोधी जोड़ पट्टीयो को ग्रीस नहीं लगानी चाहिये
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.