सभी प्रकार के रेलपथ नवीनीकरण , निम्लिखित अनुसार वर्गीकृत किये गये है -
1) पूर्ण ट्रैक रीन्यूअल (प्राथमिक ) संक्षिप्त में सीटीआर (पी)
2) थ्रू रेल रीन्यूअल (दूसरा दर्जा) संक्षिप्त में सीटीआर (एस)
3) थ्रू रेल रीन्यूअल (प्राथमिक ) संक्षिप्त में टीआरआर (पी)
4) थ्रू रीन्यूअल (दूसरा दर्जा) संक्षिप्त में टीआरआर (एस)
5) थ्रू स्लीपर रीन्यूअल (प्राथमिक) संक्षिप्त में टीएसआर (पी)
6) थ्रू स्लीपर रीन्यूअल (दूसरा दर्जा) संक्षिप्त में टीएसआर (एस)
7) कैजुअल रीन्युल्स
8) थ्रू टर्न आउट रिन्युअल
9) थ्रू फिटिंग रीनुअल
10) थ्रू वेल्ड रीन्यूअल
11) थ्रू ब्रिज टिम्बर रीन्यूअल
12) स्कैटर्ड रीन्यूअल
2) ऐसे रीन्यूअल जहाँ नयी सामग्री का उपयोग होता है, उसे प्राइमरी रीन्यूअल कहते है और जिसमे रिलीज किये गये सेवा योग्य सामग्री का उपयोग किया हो उसकी सेकंडरी रीन्यूअल कहा जाता है
3) स्केतर्ड रीन्यूअल - इस रीन्यूअल में सभी अकार्यक्षम रेल, रेल , स्लीपर , फासनिंग को इसी प्रकार के सेवायोग्य (कार्यक्षम ) सामग्री से बदली किया जाता है हर गेंग बीट के 10 रेल या 250 स्लीपर से कम अंतर वाली जगह पर ये कार्य किया जाता है ये रीन्यूअल अनुरक्षण का एक हिस्सा है
4) कैजुअल रीन्यूअल - इस रीन्यूअल में जो रेल, स्लीपर तथा फासनिंग सेवा योग्य नही है, उन्हें सेवा योग्य या नये सामग्री से बदली किया जाता है ये रीन्यूअल कुछ कुछ स्थानों पर लगातार पर छोटे टुकड़े में किया जाता है ये रीन्यूअल सामान्य अनुरक्षण का भाग नही है ओर यह स्केतर्ड रीन्यूअल के तहत नही आता है
रेलपथ के नवीनीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व :-
1) रेल नवीनीकरण के मापदंड निन्मलिखित है .
1- रेल फेल्योर की घटनाए
2. रेलों के घिसाव
3. ट्रैक को निर्धारित स्तर पर अनुरक्षण में कठिनाई
4. जीएमटी के आधार पर आपेक्षित सेवा अवधि पूर्ण होना
5. योजनाबद्ध नवीनीकरण
क) रेल फ्रेक्चर / रेल फ्ल्योर की घटनाए -
यदि किसी सेक्शन में एक वर्ष में प्रति 10 किमी में 5 रेल फ्रेक्चर के कारण बदली जाये और / या अल्ट्रासोनिक डिक्टशन में फ़्ला आईएमआर की श्रेणी में आती हो तो रेल नवीनीकरण के दौरान ऐसे सेक्शन को पहले प्राथमिकता देना पड़ेगा यदि रेल फ्लोर फिश प्लेटेड / पहले से किये गये वेल्डिंग जोड़ो में है तो रेलों के सिरे वेल्डिंग के साथ या बिना वेल्डिंग के काटे जा सकते है
ख) रेलों का घिसना -
(1) रेलों के वजन में प्रतिशत कमी - जब रेल के वजन में कमी निर्धारित सीमा से अधिक हो जाये तो रेल को बदल दिया जाता है रेलों के वजन में निर्धारित सीमाये निम्लिखित है -
जोड़ के फिश्प्लेट को खोलकर रेल के सिरों की प्रोफ़ाइल विशेष प्रोफ़ाइल मापी द्वारा नापकर या रेल के वास्तविक वजन को मापकर निश्चित किया जा सकता है
2) संक्षारण से होनेवाली घिसाई - रेल के बेव ओर फुट पर 1.5 मिमी से अधिक संक्षारण होने पर इसके संक्षारण से होने वाली घिसाई की कसौटी के रूप में लिया जायेगा स्थानीय संक्षारण जैसे संक्षारण गड्डे का होना विशेषत: इनकी फुट की निचली सतह पर पाया जाना प्रतिबल वृध्दि का कारण बनकर फटीग क्रेक को उत्पन्न करता है ऐसे मामलों में रेल का नवीनीकरण आवश्यक हो जाता है
3) उर्ध्वाधर घिसाई - जब हेड की गहराई में कमी इस सीमा तक पहुंच जाती है जिसे पहियों के फ्लेज का फिशप्लेटो से छू जाने का खतरा बन जाता है तब ऐसी रेलों का नवीनीकरण कर दिया जाना चाहिये उर्ध्वाधर घिसाव की सीमाए जिन पर नवीनीकरण की योजना बनाई जाए निम्नलिखित सारणी में दी गई है -
उर्ध्वाधर घिसाव का मापन रेल के मध्य लाइन पर कैपीपर्स व्दारा घिसी रेल की ऊंचाई मापकर अथवा रेल के प्रोफ़ाइल को चिन्हित कर दिया जाता है पहले तरीके में नयी रेल की ऊंचाई तथा घिसी रेल की ऊंचाई में अंतर घिसाव का मान है
4) पार्श्व घिसाई - रिलेइंग के हिसाब से पार्श्व घिसाव की सीमाये निम्न सारणी में दी गई है -
पार्श्व घिसाव के मापन को दर्शाने वाली घिसी हुई रेल का प्रोफाइल निचे दिया हुआ है -
पार्श्व घिसाव को रेल शीर्ष तल से 13 से 15 मिमी नीचे मापा जाता है पार्श्व घिसाव का मापन करने के लिए घिसी रेल के प्रोफ़ाइल को नवीन रेल के प्रोफ़ाइल के ऊपर अध्यारोपित किया जाता है
ग) रेलपथ को निर्धारित मानको में बनाये रखे जाने की क्षमता - कतिपय ऐसे मामले हो सकते है जिनमे निम्नलिखित कारणों से रेलपथ का नवीनीकरण आवश्यक हो जाता है -
i) रेलपथ के अनुरक्षण में अतिरिक्त श्रम लगाने पर भी रेलपथ की चालन गुणवत्ता घटिया रहती है या रेलपथ के किसी अंश को संरक्षित दशा में बनाये रखने में असंगत लागत का आना
ii) नवीनीकरण का प्रस्ताव करते समय हागिंग / बेटरिंग , स्केबींग व व्हील बर्न से संबंधित रेल की हालत जैसे रेलों की ऊपर सतह का अत्यधिक लहरदार होना जिसे दृश्य निरीक्षणों व्दारा पहचाना जा सकता है, जो रेलपथ की चालन गुणवत्ता को प्रभावित करते है तथा रेलपथ अनुरक्षण को दुष्कर ओर खर्चीला बनाते है, का ध्यान रखना चाहिये
iii) हागिंग / बेटरिंग हुये रेल सिरों के कारण नवीनीकरण तभी किया जाये जब अन्य उपचार प्रभावी न पाये जाये
घ) यातायात के जीएमटी के आधार पर सेवाकाल के विचार से नवीनीकरण - यदि रेल पर निम्नलिखित न्यूनतम कुल यातायात गुजर चुका हो तब इसे नवीनीकरण की योजना में लिया जाना चाहिये -
सभी महत्वपूर्ण पुलों और ऐसे बड़े पुलों , जहाँ तट की ऊंचाई 4.0 मी. से अधिक है, के लिये पुल के ऊपर एवं पहुंच मार्गो (दोनों ओर 100 मी तक ) सभी सुरंगो ओर उनके पहुंच मार्ग (दोनों ओर 100 मी तक ) पर थ्रू रेलपथ नवीनीकरण का विचार करने के लिये सेवा आयु उपरोक्त दर्शाई गई आयु की आधी होगी विनिर्मुक्त रेलपथ सामग्री पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी
च) योजना बध्द नवीनीकरण - चयनित मार्गो पर शीघ्रतम अवधि में रेलपथ संरचना के आधुनिकरण के उद्देश्यों से पूर्व नवीनीकरण शामिल हो
2) व्दीतीयक रेल नवीनीकरण -
क) व्दीतीयक नवीनीकरण के मामले में यदि रेल की हालत संतोषप्रद है तो रेल सिरों को काटकर एसडब्ल्यू में वेल्ड कर उन्हें कम महत्वपूर्ण लाइनों में लगा देना उत्तम है उपयोग से पहले रेलों का पराध्वनि परीक्षण कर लेना चाहिये
ख) चिप्ड रेल सिरों को वेल्डिंग व्दारा भरकर उपयोग में लाने से सेवाकाल बढ़ जायेगा
ग) प्राथमिक रिलेइंग से निकली हुई तथा व्दीतीयक रिलेंइंग के लिये अनुपयुक्त रेलों को साईंडिंगो में काम में लाया जाये
3) स्लीपरो के नवीनीकरण की कसौटियां -
समान्यत : कोई स्लीपर ठीक माना जाता है यदि वह गेज बनाये रखे , संतोषप्रद रेल सीट प्रदान करे , रेल बंधनों को कसी हालत में बनाये रखे तथा उसके नीचे की पैकिंग को बनाये रखे ऐसे स्लीपर जिनमे पुन: सुधार करने के बाद भी उपरोक्त अपेक्षाओ को पूरा न करे तो उनको बदल दिया जाना चाहिये जहाँ केवल स्लीपर बदलना सर्वथा उचित हो तो यह बदली लगातार लम्बाइयो में की जाये तथा निकले हुये स्लीपरो को अन्यत्र आकस्मिक नवीनीकरण के काम में लिया जाये गर्डर पुलों पर जब कहीं स्लीपर खराब पाये जाये तब नवीनीकरण पूरे स्पान में किया जाये तथा निकले हुये स्लीपरो को अन्यत्र आकस्मिक नवीनीकरण के काम में लिया जाये गर्डर पुलों पर जब कहीं स्लीपर खराब पाये जाये तब नवीनीकरण पूरे स्पान में किया जाये तथा निकले हुये ठीक स्लीपरो को अन्य स्पानो पर आकस्मिक नवीनीकरण हेतु काम में लाया जाये स्लीपरो को काम में लाये जाने से पहले उनको पुन: ठीक - ठाक कर दिया जाये
नवीनीकरण के प्रस्ताव -
1. कार्य का नाम
2. स्टेशनों के बीच
3. लोकेशन / किमी
4. विशिष्ट वर्णन के साथ आवश्यक सामान
5. फ्री रेल / एसडब्ल्यूआर / सीडब्ल्यूआर
6. वेल्डिंग का समान
7. आदमी और मशीने
8. ठेका / विभागीय
9.अवधि दौरान
10. सुरक्षा संबंधी उपकरण
11. रिलीज सामान
12. अन्य आवश्यकता, अगर कोई हो
13. जस्टिफिकेशन
रेलपथ नवीनीकरण कार्यो के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट -
1. कार्यो का ब्यौरा
2. वर्तमान ट्रैक संरचना
3. ट्रैक मैटेरियल का वर्गीकरण
4. प्रस्तावित ट्रैक संरचना
5. वर्तमान / प्रस्तावित ग्रेडियंट प्रोफाइल
6. कर्व का रिएलाइनमेंट
7. क्रियान्वयन की विधि
8. फॉरमेशन
9. बैलास्ट
10. रेलपथ सामग्री का परिवहन
11. वेडिंग
12. टर्न आउट का नवीनीकरण , पुलिया के स्लीपर आदि
13. मशीनों का उपयोग
14. ठेके
15. सामग्री योजना
प्रारम्भिक कार्य -
1. साईट पर बैलास्ट की आपूर्ति
2. यदि आवश्यक हो तो फार्मेशन का उपचार
3. सभी बाधाओं को हटाना जैसे पाईप लाइन , केबल क्रासिंग आदि
4. मानव व सामग्री की व्यवस्था
5. सैस की रिपेयर के लिए मुरम की आपूर्ति
6. रेल लेवल के लिए संदर्भ खूंटी लगाना
7. सभी अडचनों की उर्ध्वाधर एवं क्षैतिज नाप
8. आवश्यक स्थानों जैसे एसईजे , पुलिया , लेवल क्रासिंग , पॉइंट व क्रासिंग और कटिंग आदि की मार्किंग करना
9. साईट पर सामग्री को उतरना एवं फैलाना
10. वर्तमान सामग्री का वर्गीकरण कर उसको पहचाने के लिए चिन्हित करना
11. रात्रि कार्य के लिए रोशनी की व्यवस्था करना
12. सभी संबंधी विभागों को पूर्व सूचना देना
13. इंजीनियरिंग इंडीकेटर्स बोर्डो एवं सुरक्षा सामग्री की व्यवस्था करना
14. आवश्यकतानुसार छोटी मशीनों की व्यवस्था करना
15. मैटेरियल ट्रेन एवं बैलास्ट ट्रेन की व्यवस्था करना
16. ट्रेफिक ब्लाक की व्यवस्था करना
नवीनीकरण करने की विधि -
पूर्ण रेलपथ नवीनीकरण निम्नलिखित में से किसी एक विधि व्दारा किया जाता है -
1. यांत्रिक उपकरणों व्दारा
2. पुराने ट्रैक को पूरा डिसमेंटल करके नया ट्रैक बिछाना (मानव व्दारा )
3. पीसमील विधि जिसमे स्लीपर एवं रेल को अलग - अलग बदला जाता है
रेल पथ नवीनीकरण (मानव व्दारा)
अ) टी. एस.आर
बैलास्ट की खुलाई
वर्तमान फिटिंग को हटाना
पुराने स्लीपरो को हटाना
नये स्लीपरो को डालना
फिटिंग एवं फाशनिंग को लगाना (पुराना /नया )
स्लीपरो को पैकिंग और गुनिया करना
वक्सिंग एवं ड्रेसिंग करना
बी ) टी. आर.आर
फिशप्लेट एवं फिश बोल्टो को हटाना
वर्तमान फिटिंग को हटाना
पुरानी रेल को हटाना
नयी रेल डालना
फास्टिंग लगाना (नयी या पुरानी )
फिशप्लेट लगाना
पोर्टल क्रेन (पीक्यूआरएस)
1. सामान्य
i) पोर्टल क्रेन - आम तौर पर यांत्रिक रेलपथ नवीनीकरण में पीक्यूआरएस हेतु इनको प्रयोग किया जाता है ये बीएफआर में लोड होती है और कार्य स्थल पर पहुंचाई जाती है सामान्यत: कार्य स्थल पर रिलेइंग कार्य हेतु दो पोर्टल क्रेन को लगाया जाता है तीसरी का उपयोग बेस डिपो में नये पैनलो को असेंबल करने के लिए किया जाता है साईट पर ब्रेकडाउन होने की स्थिति में तीसरी पोर्टल क्रेन स्टैण्ड बाई के रूप में कार्य करती है
ii) पोर्टल क्रेन के पीछे टैम्पिंग मशीन को लिफ्टिंग एवं टेपिंग के लिये तैनात किया जाना चाहिये
iii) कम से कम 2 घंटे 30 मि. की अवधि के ब्लाक की व्यवस्था की जानी चाहिये
iv) कार्यशील सभी मशीनों के पार्यप्त स्पेयर्स (पोर्टल क्रेन एवं आदि ) की अग्रिम तथा नियमित व्यवस्था सुनिश्चित कर लेना चाहिये
ब्लाक में कार्य करने की पध्दतियां - कुल तीन पध्दतियां है -
- पुलिंग - पुशिंग -ट्रेन के टुकड़े करके (ट्रेन पार्टिंग
पूर्व आवश्यकताये -
पोर्टल क्रेन से पैनल बिछाने के कार्य के लिए निम्नलिखित पूर्व आवश्यकताए है -
पोर्टल क्रेन से पैनल बिछाने के कार्य के लिए अच्छा प्रबंधित एवं उचित रूप से डाला हुआ बेस डिपो रीढ़ की हड्डी की तरह होता है एक आदर्श लेआउट बेस डिपो नीचे चित्र में दिखाया गया है बेस डिपो की सहज कार्यशीलता आखिरकार उसकी बिछाने की गुणवत्ता एवं उत्पादकता व्दारा प्रदर्शित होती है
i) बैलास्ट लोड करना /खाली करना, अगर बेस डिपो का उपयोग बैलास्ट डिपो की तरह किया गया है
ii) बेस डिपो ऐसे मध्य स्थान पर बिछाया जाना चाहिये जिसके दोनों ओर वर्क साइट 60 - 70 किमी से ज्यादा दूर न हो इसी समय साइट का सलेक्शन ऐसे स्थान पर हो जहाँ से रोड पहुंच पर हो वहाँ पर बिजली की आपूर्ति एवं पानी की सुविधा होनी चाहिये बेस डिपो में लाईन में प्रस्थान एवं आगमन दोनों ओर हो सकती है
iii) सहज कार्य के लिए, बेस डिपो में तीन साइडिंग होनी चाहिये जिनमे प्रत्येक की लम्बाई कम से कम 500 मीटर होनी चाहिये तथा ये 350 मीटर लंबी शंटिंग नेक से जुडी होनी चाहिये इसके साथ, कम से कम दो साइडिंग में पोर्टल क्रेन के चलने के लिए सहायक ट्रैक लगाया जाना चहिये
iv) आइटम (i) में सूचीबध्द कार्य रात्रि में सुरक्षित विधि से करने के लिए बेस डिपो में प्रकाश की व्यवस्था होना वांछनीय है
v) डिपो के कार्यो को मजबूत करने के लिए, कुछ हस्तचलित / यांत्रिक क्रेन जो सहायक ट्रैक पर चलती हो तथा तीसरी पोर्टल क्रेन के अलावा हो जो डिपो में स्थापित करना वांछित है इनमे से कुछ ग्रेंट्री क्रेन 6.5 मीटर तक रेल लेवल से उंची हो सकती जो पोर्टल की मरम्मत में सुविधा देती है
बेस डिपो को निम्नलिखित क्रियाओ को वाहन की आवश्यकता है -
अ) पीआरसी स्लीपर खाली करना एवं चट्टे लगाना
ब) नये पैनल बनाना
स) पीक्यूआरएस रेक से रिलीज्ड पैनल उतारना
द) रिलीज्ड पेनलो को तोडना
य) नये बनाये पेनलो को लोड करना
र) पीक्यूआरएस रेक का फोरमेशन
ल) मशीनों का अनुरक्षण
व) रिलीज्ड मटेरियल को भेजना
रिलेंइंग के पूर्व के कार्य :-
वास्तविक रिलेइंग के पहले किये जाने वाले कार्य :-
i) ट्रैक का पूर्ण निरीक्षण एवं क्षैतिज प्रोफ़ाइल तथा सीधाई का आकलन
ii) रिलेइंग के एक या दो दिन पूर्व ट्रैक की गहरी छनाई गिट्टी सेक्शन को स्लीपर के निचले स्थ तक बनाना ताकि रिलेइंग कार्य प्रभावित न हो एवं बचे हुये स्क्रीन बैलास्ट को रीलेंइंग के बाद भरना
iii) सहायक ट्रैक का गेज 3400 मिमी एवं इसका मध्य लाइन मेन लाइन के समान होना चाहिये इस कार्य के लिये सीएसटी - 9 स्लीपर अथवा लकड़ी के गुटके 560 x250x 125 मिमी साइज 1.5 से 2.0 मीटर की दूरी पर लगाये जा सकते है प्रत्येक दिन के कार्य अनुसार सहायक ट्रैक की लम्बाई सुनिश्चित करे
iv) सहायक ट्रैक मेन लाइन के लेवल में तथा क्रास लेवल मुक्त होनी चाहिये ताकि पोर्टल क्रेन डिरेल न हो किसी भी अवस्था में सहायक ट्रैक की ऊंचाई मेन ट्रैक की अपेक्षा 50 मिमी. से अधिक न हो
v) क्रीब तथा शोल्डर गिट्टी को स्लीपर के निचले सतह तक खुलाई
vi) पुराने स्लीपर के सभी फिटिंग अच्छे एवं कसे अवस्था में हो ताकि उठाते समय न गिरे
vii) टूटे फूटे स्लीपरो के कार्य पूर्व बदल देना चाहिये
viii) गर्डर पुलों पर गार्ड रेलों को तत्काल खोल देनी चाहिये
ix) फाटकों को कार्य के पूर्व खोलना
x) एसईजे को पूर्व प्लानिंग के अनुसार सही स्थान पर सुनिश्चित की जानी चाहिये
xi) एलडब्ल्यूआर/ सीडब्ल्यूआर को सिंगल रेल लम्बाई में कटिंग की जानी चाहिये अथवा कार्य के पूर्व रनिंग रेल को पर्याप्त सर्विस रेलों से बदल देनी चाहिये
xii) अनावश्यक बाधाये तथा केबल सिगनल बार, छिपे हुये रेलों के टुकड़े, टाइबर आदि हटा दिया जाये ताकि कार्य बाधित न हो
xiii) निम्नलिखित उपकरणों की उपलब्धता कार्य स्थल पर सुनिश्चित की जानी चाहिये -
अ. अच्छी एवं चालू अवस्था एक एक सेट रेल कटिंग एवं गेस कटिंग एवं गेस कटिंग का समान
ब. 0.5 मी. से 3 मी. तक के रेल टुकड़ो का 2 सेट जो कि बिछाये गये रेल सेक्शन का हो
स. जंक्शन फिश्प्लेट एवं बोल्ट - 4 सेट
xiv) संचार के लिये आवश्यक साधन यथा वाकी टाकी/टेलीफोन की उपलब्धता
xv) एक या दो दिन के कार्य के बराबर आवश्यक मात्रा में डिपो में पुर्ननिर्मित पेनल ताकि रिलेइंग कार्य स्थल का कार्य किसी प्रकार डिपो कार्य से बाधित न हो
रिलेइंग के बाद के कार्य -
i. ट्रेफिक ब्लाक समाप्ति के पूर्व ट्रैक की बाधाओं को हटाना
ii. आवश्यकतानुसार ट्रैक की उठाई का कार्य
iii. गति की विभिन्न सीमाओं को ध्यान में रखकर आवश्यक उठाई, पैकिंग, सिधाई, गिट्टी, भराई एवं सुद्दधीकरण का कार्य सुनिश्चित करना
iv. नये बिछाये गये ट्रैक में गिट्टी की आवश्यक भराई एवं पेकिंग का 3 चक्र पैकिंग मशीन के व्दारा ताकि सेक्शन की सामान्य गति प्राप्त की जा सके
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