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Thursday, December 3, 2020

P Way - रेल के दोष

रेल के दोष

(1) संक्षारण और जंग लगना :- 

संक्षारण सीलन द्वारा उतना नही होता जितना की  तेजाब गैसो के नमी कि  परत में  घुलने से जिसकी रेल पर बारम्बार परत बनती रहती है । संक्षारण सामान्यत निम्नलिखित   स्थान पर होता है:-

 1. प्लेटफार्मलाइन जहाँ गाडियाँ अधिक देर तक रूकती है 
2. साईडिग जहाँ लवणयुक्त या संक्षारक मल का उतार चढाव होता है। 
3. जहाँ इंजन की राख गरने से रेल पर प्रभाव पडता है जैसे राख गड्ढो पर । 
4. जल स्तंभ के निकट अपर्याप्त जल निकास  के कारण 
5. सुरंगे तथा आर्द्र कटिंग  
6. समुद्र तट के निकट के क्षेत्र 
7. औद्योगिक   संक्षारण सामान्य: रेल के वेब तथा फुट पर पाया जाता है। 

(2) रेल पटल का घिसना :- सामान्यता: यह घिसना बहुत कम मात्रा में  होता है लेकिन जहाँ यातायात अधिक होता है। जैसे उपनगरीय खण्ड में घिसने के  मात्रा बढ जाती है यद्यपि  आनुपातिक से नही  ।

 (3) रेल पटल का चपटा हो जाना :- यह अधिकांशत : वक्र के  भीतर रेल पर क्षैतिज  शक्तियों  के साथ मिलकर उच्च संपकर प्रल के द्वार होता है।ये कैन्टेड रेल पथ पर संतुलत गत से कम गत के द्वारा होताहै। 

(4) आमान फलक पर घिसाव :- वक्र क बाहर रेल पर पहियों  के भारी  दबाव पडता है जिसके  फलस्वरूप जिस किनारे से  पहिया चलता है वह घिसने या बगल से कटने लगता है।आमान फलक पर घसाव विशेष रूप से उपनगरीय खण्डो मामले में  सुस्पष्ट होता है। जहाँ बहुएकक सवार डिब्बो क व्यवस्था बगली  कमानी रहित कर्षण  मोटरो के  साथ की  जातीहै

 (5) रेल सिरे का उत्तलन  : उत्तलन  रेल वह है जिसका सरा या सरे उद्धवार्धर दशा म झुके हुएहो । रेल पथ मे किसी उत्तलन रेल सिरे का पता जोडो को खोल कर, बंधनो को हटा कर रेल पटल पर जोड के मध्य पर एक मीटरलम्ब सीधारेख रखकर, रेल सरे पर उत्तलन की  मात्रा को मापा जाता  है।

(6) रेल सिरे का बैटर होना :- रेल सिरे वही  पर बैटर होता है जहाँ जोडो मे अंतर अधिक हो यह किसी रेल के सिरे पर पहियो  के  संघट्ट होता है विशेष कर यद जोड पट्टीयाँ ठीक सटकर न बैठे हो। रेल सिरे में  बैटर नीचे रेखा चित्र  में दिखाये  अनुसार रेल के सिरे पर तथा रेल सिरे से 30 सेमी. दूर किसी स्थान पर रेल की  ऊँचाई मे अंतर से मापी जातीहै।

(7)पहिया  ज्वलन  (बर्न ):- पहियो का फिसलना सामान्यत: प्रतिकूल  ढालो  पर होता है या चढाई वा ले ग्रेडो स्टाट करते समय होता है। जब पयार्प्त उष्णता पैदा हो जाती है और  रेल का ऊपरी  भाग जगह-जगह से टूट जाता है जिसके कारण अवनमन हो जाताहै जिसे पहिया ज्वलन कहते है और उससे दरार पैदा हो सकते है।यह रेलगाडी को अकस्मात ब्रेक लगाने और पहियो के पाश्वर् ओर सरकन के कारण भी होता है। पहिया ज्वलन के कारण रेल पर पहिया द्वार आघात होताहै, जिसमें  परिणाम स्वरूप स्लपरो क मजबुती से पैक क रखना और बंधनो को कसा रखना कठन हो जाताहै। ऐसे रेल को प्रेणाधीन रखना  चाहिए और यदि  वेल्डींग करके उनके मरम्मत करना व्यवहारिक न हो तो उन्हल दया जाए । 

(8)कारूगेश : कुछ स्थान पर र ल पटल पर मेन्ड और खो लापनआ जाताहै जिसे कारूगेश कहा जाताहैऔर जब ऐसी रेल के ऊपर से वाहन गुजरते हैतो गूंजने  ध्वन होती है। ऐसी रेल को गूंजने वाली  पटरीया कहते है। ऐसे स्थान पर कम्पन अत्याधक होता है जिसमें परिणाम स्वरूप बंधन पैकिंग  ढीली  हो जाती है और इन स्थान पर रेलपथ पर अधिक ध्यान देने क आवश्यकता होती है 

(9) शैलिंग  और ब्लैक स्पॉट  तथा 

 (10) स्कैबिंग  रेल का फेल होना :-

यदि किसी रेल मे इतनी खराबी हो गई हो कि  उसे संरक्षा  के लिए तत्काल  रेल पथ से हटाना आवश्यक हो गया हो तो समझा जाता है कि  रेल फेल हो गई है।लेकिन वे रेलें  रेल फेल कि श्रेणी मे नही  आती है जो की बकलिंग  के द्वारा  , दघर्टना   , किंकिंग , डीरेलमें ट , असाधारण पहिया ज्वलन  के कारण निकाली  जाएँ । 

रेल फेल होने के कारण :- 

1. रेल में  मूलभूत खराबियाँ :- यह दोष रेल के बनाने की  प्रक्रिया  के दौरान उत्पन्न होता है जैसे रासायनिक सरंचना  दोष, सेग्रिग्रेशन ,पाईपिंग , सिम्स , लैप्स , गाईड मार्क  आदि  

2. चल स्टॉक खराबी :-  रेल के फेलहोने के ये कारण फ्लैट टायर  , चक्को के फिसलने  तथा अत्याधिक ब्रेकिंग  कारण होते है।

3. रेल में संक्षारण :- विभिन्न कारणो जैसे मौसम का प्रभाव   , नीचे की  जमीन मे क्लोराइड जैसी संक्षारलवण ।यहसामान्य: रेल के वेबऔर फुट के पास पाये जाते है। 

4. जोडो का खराब रखरखाव :- इस प्रकार क खराबी में  प्राय  : ढीली  पैकिंग , स्लीपर का बदगुनया होना आदि   है

5. वेल्डीं के  खराब :- इन कमीयो के कारण या तो थर्मिट  वेल्डींग धातु की  अनुचित  संरचना या खराब वेल्डी तकनीक होती है। 

6. रेल पथ का खराब रख रखाव :- इसके मुख्य कारण रेल पथ का अप्रभावी अथवा  लापरवाही  से किया गया अनुरक्षण कार्य  है। 

7. डिरेलमेंट :- रेल के फेल होने के ये कारण गाडियो  के पटरी  से उतर जाने के फलस्वरूप पैदा होते है 


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