पुल की परिभाषा - किसी नही, सडक, घाटी, गर्त या अन्य किसी प्रकार की बाधा के आर - पार आने - जाने की संरचना को पुल कहते है यह रेलपथ यातायात दोनों के लिए बनाये जाते है
पुलों का वर्गीकरण : -
(1) महत्वपूर्ण पुल - ऐसे पुल जिनका कुल जल मार्ग 1000 वर्गमीटर से अधिक हो या कुल रेखीय जलमार्ग 300 मी या अधिक हो, महत्वपूर्ण पुल कहा जायेगा अथवा जल - मारग की गहराई रिवर ट्रेनिंग कार्यो तथा मरम्मत की समस्याओ को ध्यान में रखते हुए चीफ इंजीनियर / चीफ ब्रीज इंजीनियर के द्वारा किसी पुल को महत्वपूर्ण वर्गीकृत किया जाये
2 ) बड़ा पुल (मेजर ब्रिज ) - एक से अधिक स्थान वाले ऐसे पुल जिनके कुल जल मार्ग की लम्बाई 18 मीटर या अधिक तथा एक ही स्पान वाले जहाँ कुल जलमार्ग की लम्बाई 12 मी . या अधिक हो
3) छोटे पुल (माइनर ब्रिज ) - छोटे पुल वह है जिनका कुल जल - मार्ग 18 मी. से कम (मल्टी स्पान ब्रिज ) हो और यदि एक ही स्पान है तब उसके जल - मार्ग की लम्बाई 12 मी. से कम हो
4)पुलिया - ऐसे बहुत छोटे पुल जिनके जल मार्ग की लम्बाई 6 मी. से कम हो , पुलिया कहलाते है
परिभाषाए -
एफ्ल्क्स :- किसी पुल के निर्माण के कारण नदी के प्राकृतिक धारा प्रवाह के तल में होने वाली बढ़ोतरी को ब्रिज का एफ्ल्क्स कहते है
क्लीयरेंस :- यह एफ्ल्क्स के साथ सबसे ऊँचे बाढ़ तल और पुल के नीव तल के बीच की उर्ध्वाधर दूरी को फ्री बोर्ड कहते है
तिरछा पुल :- जब पुल नदी के या अन्य किसी खाली जगह / बाधा के अक्ष से समकोण पर न हो तो उसे तिरछा पुल कहते है
काज वे (आइरिश पुल ) - जब किसी जल के मार्ग को रेलवे ट्रैक के ऊपर से पास करने ले लिए पुल बनाया जाये तब उसे काज वे कहते है
क्लीयर स्पान : - किसी पुल को आधार प्रदान करने के लिए लगाये गये दो पीयर के बीच की स्पष्ट दूरी को क्लीयर स्पान कहते है
डर
प्रभावी स्पान :- पुल को आधार देने वाले दो पियर पर सपोर्ट के सेंटर की दूरी को प्रभावी स्पान कहते है
कुल स्पान : - किसी पुल के गर्डर की कुल लम्बाई के बराबर होता है
स्काउडर : -यह रेल लेवल से नदी के तल के बीच की दूरी में बढ़ोत्तरी के बराबर होता है
जल मार्ग : -किसी पुल के सुपरस्ट्रक्चर के नीचे का वह खुला क्षेत्र जहाँ से जल बहता है जल मार्ग कहलाता है
पुल :- पुल पर रेल एवं रेल जोड़ : -
(1) रेलों का अनुधेध्र्य प्रोफाइल - मानक प्लेट गर्डरो में कैम्बर की व्यवस्थता नही रखी जाती केवल खुले web गर्डर पुल जिनका स्पान 30.5 मी और उससे अधिक होता है तो ही केम्बर की व्यवस्थता रखी जाती है जब लडकी के ब्रिज टिम्बर को पुन: डाला जाये तब रेलों के अनुदेध्र्य लेवल और केम्बर व्यवस्थता को सुनिश्चित किया जाना चाहिये
(2) रेल केंट - पुल के ऊपर रेलों को बिछाते समय अंदर की तरफ 20 में 1 के कैंट पर डाला जाना चाहिये जो कि पुल की एप्रोच पर भी रखना चाहिये
(3) पुल के ऊपर रेल जोड़ - ऐसे पुल जिनकी ओपनिंग 6.1 मी. से कम हो, पर रेलों के जोड़ नही डालना चाहिये इससे अधिक स्पान वाले दुसरे पुलों में यह सुनिश्चित करना चाहिये कि रेल जोड़ कुल स्पान के 1/3 दूरी से कम पर न हो
(4) पुलों पर एसडब्ल्यू आर - गिट्टी रहित डेक पुलों पर यदि एसडब्ल्यूआर पुल मध्य लाइन से सिमेट्रिकल हो तब 13.3 मी. ओपनिंग तक और यदि एसडब्ल्यू पुल की मध्य लाइन से असिमेट्रिक हो तब 6.1 मी. की ओपनिंग तक एसडब्ल्यू बिछाया जा सकता है गर्डर पर तथा उससे 6 मीटर के अंदर कोई फिश्प्लेट जोड़ नही होना चाहिए इसमें रेल फ्री बंधक लगाये जायेगे ताकि परस्पर गति हो सके
5) पुलों पर एलडब्ल्यूआर / सीडब्ल्यूआर -
(अ) ऐसे गर्डर पुल जिनकी कुल लम्बाई 20 मी से कम है पर एलडब्ल्यूआर बिछाया जा सकता है ऐसे पुल जिनकी कुल लम्बाई 20 से 43 मी है पर भी एल डब्ल्यूआर ब्रांड गेज में कुछ शर्तो के साथ बिछाया जा सकता है
(इ) वेल्डित रेल पटरिया (एलडब्ल्यू आर) पीयर से पीयर तक रेल पटरी मुक्त बन्धको सहित और प्रत्येक पीयर पर एसईजे के साथ लगाई जा सकती है रेल पटरी को गर्डर के स्थायी सिरे पर लगे चार स्लीपरो पर बॉक्स एंकरित किया जायेगा बशर्ते गर्डर एक और रोलरो पर अवलम्बित हो ओर दूसरी ओर रोकरो पर यदि गर्डर दोनों ओर से सकरने वाली बियरींग पर अवलंबित होते है तो वेल्डित रेल पटरियों का मध्य भाग प्रत्येक स्पेन पर 4 स्लीपरो पर बाक्स एंकरित किया जायेगा
उ) एलडब्ल्यू को रेल पटरी मुक्त बन्धको का प्रयोग करते हुये पुल के दूर सिरा पहुँच मार्ग पर एसईजे की व्यवस्था सहित जारी रखा जा सकता है गर्डर पुल की लम्बाई एलडब्ल्यूआर मेनुअल में दिये गये टेबल के अनुसार होगी जो कि एसईजे के फैलाव पर तापमान क्षेत्र के हिसाब से होगी
6) क्रीप को रोकने के लिए सावधानियां -
बिना गिट्टी के पुलों अथवा गर्डर पुलों पर रेल को हेमशा रेल मुक्त बन्धको सहित बिछाया जाता है यदि गर्डर पुलों पर मानक रेल लम्बाई वाला फिश्प्लेटेड रेलपथ डाला गया है तब उसको एसडब्ल्यूआर से पुलों की किनारों से कम से कम दो रेल की दूरी तक अच्छे तरह से क्रीप एंकर लगाना चाहिये इसी प्रकार गर्डर पुलों पर एलडब्ल्यू आ/ सीडब्ल्यूआर को नही बिछाया जा सकता तब कम से कम 36 मी दूर तक एसईजे से प्रथक करके अच्छी तरह से क्रीप एंकर दोनों एप्रोच पर लगाना चाहिये
नोट :- बीजी मार्ग के लिये सभी कार्य जैसे पुनर्नविनिकरण, रीगर्डरिंग, टीएसआर के लिये दो लगातार स्लीपरो के बीच की स्पष्ट दूरी 450 मिमी. से अधिक नही होगी (संशोधित सूची क्रमांक 102)
एनजी मार्ग के लिये 610 मिमी गेज के लिये दो लगातार स्लीपरो के बीच की स्पष्ट दूरी 152 मिमी से अधिक नही होगी और 762 मिमी गेज के लिये 125 मिमी के स्थान पर 254 मिमी से अधिक नही होगी
जोस स्लीपर के केस में दो जोड़ स्लीपरो के बीच की स्पष्ट दूरी बीजी तथा एम् जी दोनों मार्गो के लिये 200 मिमी से ज्यादा नही होना चाहिये
रेल फ्री फासनिंग का गर्डर ब्रिज में प्रयोग - रेल फ्री फासनिंग जैसे चार स्क्रू सहित कैंटेड माइल्ड स्टील बियरिंग प्लेट का प्रयोग लकड़ी के स्लीपर पर किया जाना चाहिये कोई भी एन्टी क्रीप बियरिंग प्लेट का प्रयोग नही करना चाहिये यदि चैनल स्लीपर प्रयोग में लाये जाते है तो उपयुक्त डिजाइन कैंटेड बियरिंग प्लेट का प्रयोग रबर पैड के साथ किया जायेगा और रेल फ्री क्लिप और बोल्ट प्रकार की फासनिंग का प्रयोग किया जाना चाहिये
पुल पर गार्ड रेलों का प्रावधान : -
(1) स्थान - गार्ड रेल सभी गर्डर ब्रिज (प्रीस्ट्रेस्ड क्रंकीड गर्डर ब्रिज डेक स्लैब रहित ) चाहे वे बड़े पुल हो या छोटे पर लगाई जानी चाहिये गार्ड रेल सभी बड़े व महत्वपूर्ण पुलों पर भी बिछायी जायेगी और अन्य छोटे पुलों पर जहाँ डीरेलमेंट की घटना से गम्भीर नुकशान हो सकते है सभी समतल टॉप मेहराब और सेक स्लैब वाले पूर्व प्रतिलम्बित क्रंकीट गर्डर पुलों पर जहाँ गार्ड रेल की व्यवस्था नही की गयी है पैरापेट दीवारों के बीच पुल को स्लीपर के उपरी स्तर पर गिट्टी से भर देना चाहिये
गार्ड रेल की फिक्सिंग -
गार्ड रेल के सिरों को उर्ध्वाधर मोडकर गाड देना चाहिये तथा अंतिम सिरे पर लकड़ी के गुटके को फिक्स कर देना चाहिये जिससे लटकती हुई ढीली कपलिंग को उलझने से बचाया जा सके यह सुनिश्चित करने के लिये कि गार्ड रेल प्रभावी है उन्हें सुचारू रूप से प्रत्येक स्लीपर पर रेल पथ के केंद्र की तरफ दो कील से तथा उलटी तरफ एक कील से प्रत्येक स्लीपर पर करनी चाहिये स्लीपर के दोनों सिरों पर एमएस प्लेट्स / टाई बारो से जिन्हें होल्डिंग डाउन बोल्ट्स से जड दिया गया है बांध देना चाहिये गार्ड रेल को क्रांकीट स्लीपर पर आरेख संख्या आरडीएसओ / टी - 4088 से 4097 के अनुसार रेल स्क्रू से कस कर लगाया जायेगा पूर्व प्रतिलंबित क्रांकीट स्लीपर के सिरों पर इस्पात की पत्तियाँ / टाईबार से बाँधने की आवश्यकता नही है
पैदल पथ की व्यवस्था :- सभी गर्डर पुलों पर स्लीपर के ऊपर रेलपथ के मध्य में पैदल पथ की व्यवस्था की जानी चाहिये जिससे कि इंजीनियरिंग कर्मचारियों को निरिक्षण में सहायता मिल सके
पुलों का निरिक्षण और अनुरक्षण -
पुलों के पहुंच मार्गो पर रेल पथ का निरिक्षण और अनुरक्षण -
(क) सभी पुलों के लिये
(1) पुल पहुंच मार्गो पर ऐसे स्लीपर लगाये जाये जिनमे गार्ड रेल लगाने की व्यवस्था हो
(2) पुल पहुंच मार्गो पर 100 मी. की लम्बाई में पूरी फिटिंग होनी चाहिये ताकि अपेक्षित रेलपथ ज्यामिति बनाई रखी जा सके और यदि कोई कमी देखी जाये तो उसे तत्काल पूर्ण प्रयास किये जाये
(3) पुल के पहुंच मार्गो में रेल लेवल डिज़ाइन एल सेक्शन अनुसार रखने चाहिए और पुल के अन्त्यधारो के तत्काल बाद रेल की सतह में डीप न आने दिया जाये बक्र वाले रेलपथ के मामले में संरेखण तथा कैंट को भी बनाया रखा जाये
(5) एलडब्ल्यू आर रेल पथ के मामले में अंत्याधार से 100 मी. दूरी तक एलडब्ल्यूआर नियमावली में यथा विनिर्दिष्ट पूर्ण गिट्टी सेक्शन होना चाहिए
(6) एल डब्ल्यू आर / सीडब्ल्यू रेल पथ में पुल पहुंच मार्गो पर एलडब्ल्यू नियमावली के अनुसार स्विच विस्तार जोड़ देना चाहिये
(ख) महत्वपूर्ण और बड़े पुलों के लिये -
उपरोक्त पैरा (क) के अतिरिक्त निम्नलिखित की भी व्यवस्था की जाये -
(1) सीएसटी - 9 या लकड़ी के स्लीपर वाले रेलपथ के मामले में पुल के पहुंच मार्ग में जहाँ कही एलडब्लूआर हो, 100 मी. तक या पूरी ब्रीडिंग लम्बाई में क्रंकीट / स्टील स्लीपर इलास्टिक फासनिंग के साथ लगाई जाये
(2) पुल पहुंच मार्गो पर लगभग 100 मी. तक पूर्ण गिट्टी सेक्शन से सेस की चौड़ाई 90 सेमी होना चाहिये जिससे गिट्टी प्रोफ़ाइल बनाये रखी जा सके गिट्टी सेक्शन के अनुरक्षण के लिये गिट्टी रिटेनिंग की भी उचित व्यवस्था की जानी चाहिये
पुल के ऊपर रेल पथ का निरिक्षण और अनुरक्षण -
(1) रेल पथ की दशा - यह पता लगाया जाना चाहिये क्या यह रेल बियरो और मुख्य गर्डरो के मध्य में केन्द्रित है और अच्छी लाइन और स्तर पर है लाइन से विचलन गर्डरो के गलत सिटिंग गर्डरो का पार्श्व और लम्बाई में खिसकना गर्डरो पर स्लीपर का या रेलों का स्लीपरो पर गलत बैठना विभिन्न आयाम या विसर्पण के कारण होता है समतल से विचलन बेड ब्लाको के तल में त्रुटी या लापरवाही से स्लीपर बिछाने के कारण होता है अंत्याधारो पर गिट्टी दीवारों या गिट्टी गर्डरो के ऊपर रनिंग रेलों के क्लीयरेंस की पर्याप्त रन आफ तथा तिर्यक स्पानो पर टिम्बर और बंधनों की स्थिति का निरीक्षण किया जाना चाहिये
(2) स्लीपर - स्लीपरो और बंधनों की दशा की जाँच की जानी चाहिये स्लीपरो के बीच की दूरी निर्धारित सीमाओं से अधिक नही होनी चाहिये स्लीपरो का गुनिया सुनिश्चित किया जायेगा जिन स्लीपरो का नवीनीकरण अपेक्षित हो ऊँ पर पेंट से अंकन किया जाना चाहिये और उनका नवीनीकरण किया जाये जिन स्लीपरो के सिरे चटक गये हो ऊँ पर सिरा बोल्ट लगाये जाने चाहिये
(3) हुक बोल्ट - मजबूत पकड़ के लिये हुक बोल्टो की जाँच की जानी चाहिये बोल्ट के उपरी भाग पर तीर की स्थिति रेल की ओर इंगित करते हुये रेल के समकोण पर होनी चाहिये जंग से बचाने के लिये हुक बोल्टो पर आवधिक रूप से तेल लगाया जाना चाहिये
(4) विसर्पण (क्रीप ) और जोड़ गैपो की जाँच की जानी चाहिए और जहाँ आवश्यक हो रेलों को पीछे की ओर खीच दिया जाना चाहिये खराब रेलों को बदल दिया जाना चाहिये गर्डर पुलों पर जहाँ स्विच विस्तार जोड़ लगाये गये हो वहाँ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये की स्विच के स्वतंत्र संचलन में कोई बाधा न पड़े
(5) गार्ड रेल - गार्ड रेल व्यवस्था आयामों के अनुसार सही दूरी रखी जानी चाहिये
(6) जहाँ कैम्बर पैकिंग हो वहाँ वे अच्छी दशा में होनी चाहिये
(7) गर्डर पुलों पर निरिक्षण के लिये पैदल पथ की पर्याप्ता की जाँच की जानी चाहिये
(8) रेतदान जिनकी आग बुझाने कल लिये व्यवस्था की जाती है सूखी और ढीली रेत से भरी होनी चाहिये
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