थ्रू पैकिंग
थ्रू पैकिंग : बीटर पैकिग दवारा पारम्पारिक अनुरक्षण
सामान्य :- थ्रू पैकिंग को निम्न लिखित क्रम में करना चाहिए तथा ट्रैक के उतने ही भाग को खोले जितना उस दिन मे पूरा किया जा सके -
A) खुलाई करना।
B) रेलों, स्लीपरों एवं बन्धनो का निरीक्षण करना।
C) स्लीपरों को गुनिया करना।
D ) ट्रैक का सही सरेखण करना।
E) गेज बनाना।
F) स्लीपरों की पैंकिंग।
G) जोड स्लीपरों की पुन: पैकिंग।
H) गिट्टी की ड्रेसिंग, बॉक्सिंग एवं साफ सफाई
थ्रू पैकिंग को गैंग बीट के लगातार एक सिरे से दूसरे सिरे तक नीचे लिखे ढगं से करनी चाहिए -
A) खुलाई करना - गिट्टी को रेल सीट के दोनो ओर खोलते है तथा जिस सतह पर पैकिंग करनी हो उसे 50 मिमी. तक कोर को बिना छेडखानी के स्लीपर के नीचे तक करना है ।
ब्रॉड गेज :- सलीपर सिरे से 450 मिमी. रेल सीट के अन्दर बाजू
मीटर गेज :- स्लीपर सिरे से 350 मिमी. रेल सीट के अन्दर बाजू
नैरो गेज (762 मि.मी.) :- सलीपर के सिरे से 250 मिमी. रेल सीट के अन्दर बाजू
यदि कास्ट आयरन प्लेट या पॉट स्लीपर हो, तो उनकी खुलाई पारम्परिक ढंग से फावडा या शावल से अन्दर एवं बाहर बाजू करे। गिट्टी को रेल के बाहर या अन्दर इस प्रकार डालते है कि वह रेल लेवलसे 50 मिमी. से ऊंची न हो ।
B) रेलों, स्लीपरों एवं बन्धनों का निरीक्षण -
रैलों का निरीक्षण - नीचे बाजू जंग तथा सिरों तथा टॉप मे क्रैक तथा साईड मे जोड में फिशिंग प्लेन मे घिसाव तथा फिश बोल्टो का कसाव । यदि रेल गोलाई में हो तो उस पर गेज फेस मे स्नेहन करना चाहिए। जंग एवं धूल को वायर ब्रश से साफ करना चाहिए, यदि किंक हो तो जिम क्रो लगाकर सीधा करना चाहिए |
स्लीपरों का निरीक्षण :-
स्लीपर का निरीक्षण विशेष रुप से रेल सीट पर करना चाहिए यदि लकडी के स्लीपर हो तो प्लेट स्क्रू, स्पाडक या फैंग बोल्ट का सटीक निरीक्षण व उनकी पकड़ देखनी चाहिए।
सडे एवं फटे स्लीपरो का भी निरीक्षण करना चाहिए। लोहे के स्लीपरो की स्थिति, काटर, चाबीयो का निरीक्षण तथा लूज चाबीयो को लाइनर या ओवर साईज चाबी लगाकर टाईट करते हैं। सीएसटी- 9 प्लेट में रेल सीट मे घिसाव को उचित पैड / सेड ल प्लेट लगाकर ठीक करनी चाहिए। फिटींग, फासनिंग का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित करे की वे अच्छे है अन्यथा टूटी फिटींग को तुरन्त बदली करें ।
C) स्लीपर की गुनिया :- यह निम्न प्रकार होता है -
स्लीपर के बदगुनिया होने से गेज मैं भिन्नता आती है ।
1) पहले नजर पर स्लीपर की स्पेसिंग करके फिर चॉक से निशान लगाये जाते है और दूसरी रेल पर गुनिया लगाकर निशान लेते है तथा बदगुनिया सलीपर की कोन को बीटर से एक सिरे पर उठाते है तथा फिटींग ढीली करके गुनिया लगाये निशान तक खिसकाते है ।
2) गुनिया करते समय पहारी से सलीपर को दबा कर सरकाते हुए गुनिया करते है ।
D) सही सरेखण तक ट्रैक को खिसकाना :-
1) ट्रैक को बहुत ज्यादा खिसकाने का काम रिएलाईनमैंट करते समय किया जाता है । जब इसकी जरुरत हो तो रेल जोडो को धीला करके स्टील सलीपर तथा कास्ट आइरन स्लीपर मे बन्धनो को लूज करके प्लेट के नीचे की ओर बीटर से कोर तोड़कर तथा स्लीपर खुलाई तथा स्लीपर की गिट्टी को भी हटाते है ।
2) ट्रैक को सरकाने का निर्देश मेट दवारा दिया जायेगा जिसकी नजर 30 मी. से 60 मिटर तक रहती हो। गोलाई मे उपर की रेल को देखना चाहिए । हुदी को सुबह के मौसम मे ठीक करना अच्छा रहता है ।
E) गैजिंग -
(1) अनुरक्षण मे इस महत्वपूर्ण कार्य को लगातार पाइंट एवं क्रासिंग समेत करना चाहिए। गाडी के अच्छे चालन के लिये ट्रैक गेज लगातार एक सा होना चाहिए ।
(2) यह सुनिश्चित करे की स्लीपर गुनिया मे हो तभी गेज करे | मानक चाबी का हथौडा प्रयोग करे वीटर या अन्य भारी हथौडा का इस्तेमाल ना करे इससे चाबी ज्यादा टाईट हो जायेगी तथा स्लीपर मे तनाव आ जायेगा ।
3) ट्रैकगेज को बेस रेल के विपरीत रेल पर गेज सुधारने के लिए व्यवस्थित करे | तीक्ष्ण गोलाइयों पर आवश्यक गेज का ढीलापन लाने के लिये आवश्यक मोटाई के लाइनरो का प्रयोग करे ।
(4) यदि सही गेज बनाना है और पुराने स्लीपरों के कारण ऐसा संभव नही तब लंबे अनुभाग मे नीचे बताये गई सीमा मे गेज (1676 मिमी) रखना ठीक रहेगा -
बीजी -
(a) सिधाई मे. 6 मिमी से +6 मिमी
(b) गोलाई मे 350 मी रेडियस या अधिक हो -6 मिमी से + ।5 मिमी
(c) 350 मी से कम त्रिज्या की गोलाई + 20 मिमी तक
(F) स्लीपर पैकिंग
(।) पैकिंग का उद्देश्य स्लीपरों की ठीक प्रकार से एक जैसी पैकिंग करके रेलो को उनके सही लैवल मे रखना होता है। पैकिंग द्वारा सीधे ट्रैक लैवल और गोलाई में आवश्यक कैंट को सुनिश्चित करते हैं और स्लीपर के बीच मे और नीचे कोई भी खाली जगह न हो ।
(2) पैकिंग शुरू करने के पह ले यह सुनिश्चित करते है कि चेयर और बियरिंग प्लेट स्लीपर पर ठीक प्रकार से लगी हो। यदि रेल सलीपर सीधे ही लगी हो तब यह देखे कि स्लीपर के उपर और रेल के नीचे कोई खाली जगह न हो ।
(3) मेट द्वारा आधार रेल पर रेल हैड के नीचे भाग को नजर द्वारा देखकर जोड के डिप को उठाकर ठीक करेगा। पास के स्लीपर की पैंकिग करेगा और ऊपर भाग चेक करेगा| दो रेलों को अटैन्ड करने के बाद दूसरी रेल को सही लैवल करें इसे प्रत्येक चौथे स्लीपर मे गेज कड़ी के द्वारा क्रास लैवल चेक करे और डिप को सीध स्केल की सहायता से ठीक करे । इसके बाद आगे की दो रेल को इसी प्रकार अटैंड करे ।
(4) कोई भी जोड को यह सोचकर ऊँचा न रखे कि यह फिर बैठ जायेगा जबकि यह यातायात पास होने पर और ज्यादा बैठेगा व ऊँचे होने के कारण यह खराब रनिंग देगा ।
(5) ट्रैक को सीधा करने के बाद और ऊपरी भाग ठीक करने के बाद सभी गैंगमैनो की दो की जुट्टी स्लीपरों की पैकिंग के लिए एक तरफ से बांट देना चाहिये | चार गैगमेन एक स्लीपर पर व एक रेल सीट पर दो के हिसाब से रहने चाहिए । स्लीपर के नीचे की गिट्टी की पैंकिग आदमियों के द्वारा एक के पीछे एक खडे होकर ठीक प्रकार से बीटर से रेल सीट पर तिरछे करनी चाहिये व टाइट पैंकिग सुनिश्चित करें ।
(6) यहां यह मुख्य है कि पहले बीटर की नॉक से स्लीपर के नीचे पैंकिंग के लिए बराबर जगह बना लें और बीटर के मोटे भाग से पैंकिग करे अन्यथा एक समान पैंकिग नहीं होगी और ट्रैक मे प्रत्यास्थता नहीं होगी | रेल सीट की पैंकिंग के बाद पैंकिंग को अंदर की ओर तथा बाहर की ओर जारी रखें । स्लीपर के किनारे से 450 मिमी अंदर तक पैंकिंग करें। बीटर को छाती की उंचाई से उपर नही उठाना है और यथासंभव क्षैतिज दिशा मे पैकिंग करे | पैकिंग करते समय कोई बडा पत्थर या गिट्टी स्लीपर के नीचे ना आये इसका ध्यान रखे, एवं सलीपर के सिरॉ पर बीटर से पैकींग ना करे। सभी आदमी बीटर को समान उंचाई से चलाए ताकी स्लीपरों की एकसमान पैकिंग हो सके। गैंती को कम ज्यादा उंचाई से उठाकर मारने से एकसमान पैकिंग सुनिश्चित नही होंगी
7) स्टीलट्रफ और लकडी के स्लीपर मे रेल सीट के नीचे की गयी पैकिंग में गिट्टी केंद्र की तरफ खिसकती है। आखिरी ड्रेसिंग करने से पह ले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कोई स्लीपर सेंटर बाउंड ना हो, सेंटर बाउंड स्लीपर से गाडी मे दोनों बाजू मे दोलन पैदा होता है ।
8) सीएसटी-9 स्लीपर में यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की सिरों के पॉकेट्स एवं बाउल गिट्टी से भर देना चाहिए और पैकिंग स्लीपर के सिरों पर ही हो, कैंद्र की ओर का समतल भाग हल्के से पैकिंग करे। पॉट स्लीपरों में ऊपरी सहत पर जमा गिट्टी को दिये गये होल में सब्बल से पैकिंग करना चाहिए।
9) पैकिंग करते समय यह विशेष रुप से ध्यान रखे की लिफ्टिंग की वजह से बाजू वालेनस्लीपर अपनी जगह ना छोडे और न ही इसमे कोई रिक्त स्थान पैदा हो ।
10) ट्रैक की बॉक्सिंग करने से पहले मुकद्दम को कैनेबूल या लकडी के मैलेट के जरिए रेल सीट के दोनो बाजू पर ठोक कर चेक करना चाहिए | यदि ठोकने के बाद इसमे खालीपन की आवाज खराब पैकिंग को निर्देशित करता है तथा इसे अटेंड करना चाहिए ।
G) जोड स्लीपर की पुनः पैकिंग :-
गिट्टी का बॉक्सिंग करने, रेल जोड पर क्रॉस लेवल चेक करने से पहले जोड स्लीपर की पुन: पैकिंग करे। रेल जोड़ ट्रैक का सबसे कमजोर हिस्सा होने के कारण इसका आधार पक्का होना जरुरी है ।
H) गिट्टी की ड्रेसिंग, बॉक्सिंग एवं साफ सफाई
1) उपरोक्त क्रम से सभी क्रिया पूरी होने के बाद , साफ गिट्टी को पंजे या रेक के जरिए जमाएं व गिट्टी को उचित आयामों के अनुसार ड्रेसिंग करे | इसमे फरमे को इस्तेमाल कर सकते है । गिट्टी की निचली और ऊपरी सिरों को सीध में रखने हेतु 6 मिली मीटर व्यास का और पर्याप्त लंबाई की सन की रस्सी उपयोग मे ला सकते है । ऐसे स्थान जहाँ पर गिट्टी की मात्रा कम हो , वहाँ पर यथा संभव ट्रैक सेंटर मैं गि्टी की कमी को परिवर्तित किया जा सकता है और शोल्डर और रेल सीट के नीचे पर्याप्त मात्रा मे गिट्टी होनी चाहिए।
2) इसके बाद सेस को बंधाई करे। सेस के किनारे जहाँ पर मिट्टी के ढेर है, उसे हटा देना चाहिए । बैलास्ट सेक्शन और फॉरमेशन प्रारुप के अनुसार रेल सतह के नीचे उचित गहराई पर सेस को बनाये रखें। ज्यादा ऊँची सेस ट्रैक ड्रेनेज को बाधित करती है तथा ज्यादा निची सेस से गिट्टी फैलती है और खराब हो जाती है ।
खराब स्थानों को ठीक करना -
ऊँची तटों एवं कटानों पर , धंसने वाली संरचना के पा्टों पर, पुल के पहुँच मार्गों पर, खराब संरेखण वाले वक्रों पर, जहाँ पर गिट्टी खराब किस्म की हो या उसमें कमी हो और जल निकास दोषपूर्ण हो, आम तौर से खराबी आ जाती हैं | खराब स्थानों की देखभाल आवश्यकता आधारित होनी चहिए और इसके लिए आवश्यकता का निर्धारण निरीक्षणों तथा रेल पथ अभिलेखन के परिणामों दवारा होना चाहिए । खराब स्थानों की पैकिंग का काम वहाँ करना चाहिए जहाँ संरेखण में गठान हो या उपरी सतह असमतल हो और रैलपथ को शीघ्र सामान्य दशा में लाया जाना हो । गैंग द्वारा दिन में किये गये काम की मात्रा इस बात पर निर्भर करेंगी कि पैकिंग में कितना ढीलापन है । सभी मामलों में निरीक्षण कर लिया जाये, खराबियों का पता लगाकर जिन स्लीपरों पर काम होता है उन पर खडिया से निशान लगाये जाये । चिन्हित स्लीपरों पर उसी प्रकार काम करना चाहिए जैसे भू पैकिंग के समय किया जाता है । लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि निकटस्थ स्लीपरो की पैकिंग में काई विघ्न न हो । यदि किसी रेल लंबाई मे स्लीपरों की मरम्मत का प्रतिशत बहुत अधिक हो तो सम्पूर्ण रेल लंबाई की मरम्मत की जानी चाहिए।
स्लीपरों पर खराबियाँ नीचे इंगित किये अनुसार चिन्हित की जायेंगी -
ये आवश्यक है कि जब जोडों को उठाया जाये तो जोडों के दोनों सिरे कम से कम तीन स्लीपरों की पैकिंग की जाये । खराब स्थानों की पैकिंग का काम परम्परागत प्रणाली द्वारा या आफ ट्रैक टैम्परों दवारा किया जाए। नीचे जोड के मामले मैं फिश प्लेट को थोडा सा ढी ला किया जाए और जोड को ठोका जाए ताकि रे ल के सिरे मुक्त हो जाये और उठाये जा सकने के काबि ल हो जाएं । जोड की पूरी तरह बंधाई के बाद फिश प्लेट को पुन: कस देना चाहिए ।
यातायात गुजरते समय स्लीपरों का प्रेक्षण :-
काम के दौरान पहली और अंतिम रेलगाडी गुजरते वक्त कार्यस्थल पर उपस्थित गेट और गैंगमेन, रेलपथ के जिस भाग पर काम कर रहे हो चाहे वह थू पैकिंग या खराब स्थानों की पैकिंग का काम हो, के दोनों और एक दूसरे से एक रेल की दूरी पर खडे होकर यह देखेंगे कि भार के नीचे स्लीपरों की क्या प्रतिक्रिया है । रेलगाडी गुजरने के तुरन्त बाद ढीले स्लीपरों पर निशान लगाकर उनकी एकसमान पैकिंग की जानी चाहिए और पैकिंग की जाँच की जानी चाहिए । दूसरी रे लगाडियों के मामले में, मेट और गैंगमेन जहाँ काम कर रहे है उसके निकट स्लीपरों का अवलोकन करें ।
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