रेल जोड रेलपथ के सबसे कमजोर हिस्से होते है । क्षैतिज तथा ऊध्वार्धर प्लेन रेल की असतता के कारण, जोड पर रेल सिरो के लेवल में दोष तथा रेल के तरंगगति में असतता के कारण , रेलजोड पहियो के गुजरने पर गम्भीर आघात का अनुभव करते है आघात के कारण गिट्टी का नुकसान , गिट्टी के प्रतिरोध की कमी तथा लूज पैकिंग / फास्टनिग के कारण ट्रैक पैरामीटर पर प्रभाव पडता है
जोड के प्रकार :
(1) सस्पेंडेड जोड : इसमे दो स्लीपरों के बीच रेल के सिरे लटके रहते है तथा जोड पर रेल का कुछ भाग कैंटीलीवर रहता है। जब जोड पर से लोड गुजरता है तो कैंटीलीवर प्रभाव के का ज्वाइंट स्लीपरों के नीचे की पैकिंग ढीली हो जातीहै। संस्पडेड ज्वाइंट बहुत प्रचलित है तथा केवल भारतीय रेल में ही नहीं बल्कि विश्व के दूसरे देश में भी अपनाये जाते है।
(2) सपोर्टेड जोड : इसमे रेल के सिरे सीधे स्लीपरों पर सपोर्टेड रहते है । पहले यह माना गया था कि स्पोर्टिंग ज्वाइंट में केंटिलीवर क्रिया न होने के कारण रेल का घिसाव कम होता है लेकीन वास्तव में जोड ऊँचा तथा इनमे रनिंग कठोर होती थी।सपोर्टेड ज्वाइंट का उदाहरण डुप्लेक्स स्लीपर है
(3) इंसुलेटेड जोड : इंसुलेटेड ज्वाइंट का प्रयोग ट्रैक सर्किट हिस्से के सिरे पर किया जाता है।रेल सिरो के बीच में इंसुलेटिंग मैटेरियल के हिस्से को फिट किया जाता है तथा एक इंसुलेटिंग शीट को रेल तथा फिश प्लेट के बीच समाहित किया जाता है वेल्डेड ट्रैक G3 एल तथा G3 एस प्रकार ग्लूड ज्वाइंट प्रयोग किये जाते है
(4) स्विच विस्तार जो(एस. ई. जे) : इन जोड का प्रयोग लडब्लूआर /सीडब्लूआर के सिरो पर श्वसन लम्बाई को फलने तथा सकुडने के लिए किया जाताहै।
फिश प्लेट :फिश प्लेट का कार्य बोल्टों की सहायता से रेलों को क्षैतिज तथा उध्वार्ध प्लेन में एक साथ संभालना होता है। इसका सेक्शन मछली के जैसा दिखने के कारण इसका नाम फिश प्लेट रखा गया है।
(3) इंसुलेटेड जोड : इंसुलेटेड ज्वाइंट का प्रयोग ट्रैक सर्किट हिस्से के सिरे पर किया जाता है।रेल सिरो के बीच में इंसुलेटिंग मैटेरियल के हिस्से को फिट किया जाता है तथा एक इंसुलेटिंग शीट को रेल तथा फिश प्लेट के बीच समाहित किया जाता है वेल्डेड ट्रैक G3 एल तथा G3 एस प्रकार ग्लूड ज्वाइंट प्रयोग किये जाते है
(4) स्विच विस्तार जो(एस. ई. जे) : इन जोड का प्रयोग लडब्लूआर /सीडब्लूआर के सिरो पर श्वसन लम्बाई को फलने तथा सकुडने के लिए किया जाताहै।
फिश प्लेट :फिश प्लेट का कार्य बोल्टों की सहायता से रेलों को क्षैतिज तथा उध्वार्ध प्लेन में एक साथ संभालना होता है। इसका सेक्शन मछली के जैसा दिखने के कारण इसका नाम फिश प्लेट रखा गया है।
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