भारतीय रेलवे में ट्रैक रिकार्डिंग कारो (Track Recording Oscillograph Car) का इतिहास -
1963 - एम्सलर टीआरसी
1975 - इलेक्ट्रानिक टीआरसी
1978 - ट्रैक रिकार्डिंग कम रिसर्च कार
1985 - माइक्रो प्रोसेसर पर आधारित टीआरसी
1989 - कला I टीआरसी - माइक्रो प्रोसेसर आधारित + सीमित आंकड़ा संग्रह
1992 - कला II टीआरसी (टीजीएमएस)
1997 - कला III टीआरसी सम्पर्क रहित सेंसर
यंत्रिक / इलेक्ट्रानिक उपस्कर व्दारा रेलपथ अभिलेखन - इस समय भारतीय रेलों पर निम्नलिखित रेलपथ अभिलेखी उपस्कर उपयोग में लाये जाते है -
1) रेलपथ अभिलेखीकार
2) हेलेड रेलपथ अभिलेखक
3) दोलन लेखीकार
4) सुवाह्य त्वरणमापी
रेलपथ अभिलेखी कार (Track Recording Oscillograph Car) - वर्तमान में भारतीय रेलों पर रेलपथ अभिलेखी कारो की दो किस्मे उपयोग में है - एक यांत्रिक ओर दूसरी इलेक्ट्रानिक इन रेलपथ कारो को निर्धारित अंतरालो पर चलाकर भारित स्थिति में रेलपथ ज्यामिति का सतत अभिलेख प्राप्त करना संभव है
यांत्रिक रेलपथ अभिलेख कार (बीजी)-
1) इसमें दो बोगियों होती है - एक दो धुरेवाली ओर दूसरी तीन धुरेवाली मापक बोगी का आधार 3.6 मी. का होता और उसमे 3 धुरे होते है जिसके एक धुरा का भार 7.0 टन होता है यह निम्नलिखित का सतत अभिलेख देता है -
क) असमता (अनइवननेस) - बायीं रेल - छोटी जीवा 3.6 मी. बड़ी जीवा 9.6 मी.
ख) असमता - दायी रेल - छोटी जीवा 3.6 मी. बड़ी जीवा 9.6 मी.
ग ) आमान (गेज) - 1676 पर परिवर्तन (ब्राडगेज )
घ) ट्विस्ट - 3.6 मी. के निचले आधार पर 4.8 मी. के ऊपर आधार पर
ड) वक्र / संरेखण - बायीं रेल - छोटी जीवा 7.2 मी. बड़ी जीवा 9.6 मी.
च) वक्र / संरेखण - दायी रेल - छोटी जीवा 7.2 मी. बड़ी जीवा 9.6 मी.
च) गति
रेलपथ अभिलेखन की बारम्बारता - मीटर गेज मार्गो पर रेलपथ ज्यामिति रेलपथ अभिलेख कार से नही करना है ब्रांड गेज मार्गो की टीआरसी व्दारा मानिटरिंग निम्नलिखित बारम्बारता से होनी चाहिये (सिवाय उन मार्गो के जहाँ ट्रैक रिकार्डिंग नही करनी है ) -
विभिन्न पैरामीटर के लिये रेलपथ श्रेणियां - रेलपथ चार्ट पीक के रूप में त्रुटियों को रिकार्ड का करता है और पीक का परिणाम त्रुटी की सीमा का संकेतक है प्रत्येक रेलपथ पैरामीटर के लिये रेलपथ को किलोमीटर वार वर्गीकृत किया जाना चाहिये जो उस किमी में आने वाले पीको की संख्या ओर उनके परिणाम पर आधारित होता है विभिन्न पैरामीटर के लिये विभिन्न कोटियो के विनिर्दिष्ट मान नीचे दिये गये है -
टिप्पणी -
(1) रेलपथ की 1 किमी की लम्बाई में प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत अनुसूचित अनियमितता की वाह्य सीमा में 10 बार तक पार करने की अनुमति है यदि एक किलोमीटर में 10 पीक से अधिक ए कोटी की बाह्य सीमा को पार कर जाते है तो किमी को बी और आगे इसी तरह वर्गीकृत किया जाता है पीको की संख्या और अनियमितता की सीमा के आधार पर रेलपथ को प्रत्येक पैरामीटर गेज, ट्विस्ट , असमता ओर संरेखण के लिये प्रथक - प्रथक ए, बी, सी,डी श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है
(2) प्रत्येक किमी. में बी श्रेणी के लिये वाह्य सीमा से बाहर वाले पीको को प्रत्येक के रूप में दर्शाया जाता है
(3) ब्राड गेज रेलपथ पर 100 किमी. /घंटा से अधिक व 140 किमी / घंटा तक स्वीकृत गतियो हेतु रेलपथ के अनुरक्षण के स्तर की उपयुक्तता हेतु इंजीनियरिंग कर्मियों के मार्गदर्शन हेतु रेलपथ की विमानों में छूट की निम्नलिखित सीमाये निर्धारित की गयी है -
(1) संरेखण दोष (फ्लोटिंग दशा में 7.5 मी. जीवा पर मापित वसाइन )
(क) सीधे रेलपथ पर 5 मिमी इक्का दुक्का अलग अलग स्थानों पर 10 मिमी की छूट दी जा सकती है
(ख) वक्रो पर - वसाइन के माध्यम पर 5 मिमी इक्का दुक्का अलग अलग स्थानों पर 7 मिमी तक छूट जीवा तक वसाइन में कुल परिवर्तन 10 मिमी से अधिक न हो
(2) क्रास लेवल दोष - विशेष छूट सीमाये नही है जहाँ तक क्रास लेवल का संबंध है रेलपथ को वर्तमान मुख्य लाइन रेलपथ जिन पर 100 किमी/ घंटा की गति अनुमत है से उच्च स्तर तक अनुरक्षित किया जाये
(3) एंठन (टिवस्ट ) - 3.5 मी. आधार पर मापित)
(क) सीधे रेलपथ पर तथा संक्रमण वक्र को छोडकर वक्रित रेलपथो पर - 2 मिमी/ मी, इक्का दुक्का अलग अलग स्थानों पर यह 3.5 मिमी / मी तक हो सकता है
(ख) वक्रो के संक्रमण पर स्थानीय दोष 1 मिमी / मी तक हो सकता है
(4) असमतलता / रेलजोड़ अवतलन - 3.5 मी जीवा पर मापित वसाइन सामान्यत : 10 मिमी तथा इक्का दुक्का अलग अलग स्थानों पर 15 मिमी तक
(5) आमान में बदलाव - विशेष विनिर्देश नही है कसे आमान व ढीले आमान की अधिकतम सीमाये सीमा के अंदर होनी चाहिये
उपरोक्त में इक्का दुक्का अलग अलग स्थान का तात्पर्य प्रतिकिमी में 10 से अधिक नही लिया गया है
(शुध्दि पत्र संख्या 96 के अनुसार)
डिरेलमेंट से बचने के लिये गाड़ी का स्थायित्व विभिन्न कारको पर निर्भर करता है जैसे डिरेलमेंट से बचने के लिये गाड़ी का स्थायित्व विभिन्न कारको पर निर्भर करता है जैसे रेलपथ ज्यामिति , वाहन के गुणधर्म तथा समय पर उस विशेष गाड़ी की गति तथा उसके रखरखाव की स्थिति इत्यादि रेल व्हील अंतरक्रिया एक जटिल घटना है और इसलिये रेलपथ अनुरक्षण की संरक्षा टालरेंस भारतीय रेलों पर विनिर्दिष्ट नही किये गये है इस प्रकार प्रत्येक डिरेलमेंट के लिये सभी उपलब्ध साक्क्षो का सावधानी पूर्वक परीक्षण जरूरी है जो रेलपथ , चल स्टाक , गति और अन्य कारको के सन्दर्भ में कारण पर पहुचने के लिये उपयुक्त समझा जा सकता है उपयुक्त पैरा और कही भी उल्लिखित सुविधा ओर टालरेंस अच्छे चालन सुविधा के लिये रेलपथ ज्यामिति रखरखाव के द्रष्टिकोण से है
दोलन लेखी कार (Oscillograph Car -
(1) कार का संक्षिप्त विवरण - इस कार का मुख्य उपस्कर त्वरणमापी है जिसमे अनिवार्यत पतली नम्य प्लेट के सिरे पर द्रव्यमान जुड़ा रहता है ओर प्लेट का दूसरा सिरा त्वरणमापी के खेल के साथ मजबूती से जुड़ा रहता है त्वरण मापी के खोल के अंदर खाली स्थान को अवमंदन द्रव्य (सामान्यत सिलिकान द्रव्य ) से भर दिया जाता है केंटीलीवर प्लेट को स्ट्रेन गेज किया जाता है ताकि द्रव्यमान के विस्थापन का पता लग सके द्रव्यमान के त्वरणमापी लगा हो लंबवत ओर पार्शिवक त्वरण रिकार्ड किया जा सकता है
रेलपथ मानिटरिंग चालनो में त्वरण रिकार्ड किया जाता है
(2) रिकार्डिंग के ब्योरे - दोलन लेखिकार चालनो में निम्नलिखित प्राचल रिकार्ड किये जाते है -
(क) लोको कैब का उर्ध्व त्वरण ,
(ख) लोको कैब का पार्श्विक त्वरण
उपयुक्त के अतिरिक्त समय चिन्ह - प्रत्येक सेकंड के लिये , तार और किमी चिन्ह तथा स्टेशन , भवन , पुल आदि के चिन्ह भी चार्ट पर रिकार्ड किये जाते है मुख्यत: दायाँ ओर बायाँ स्प्रिंग विस्थापन भी रिकार्ड किया जाता है
(3) रिकार्डिंग की आवृत्ति - ब्राड गेज पर ये कारे ग्रुप ए मार्ग को मानिटर करने के लिये उपयोग में लायी जाती है रेलपथ रिकार्डिंग कार व्दारा दर्ज की गयी वास्तविक रेलपथ ज्यामिति से भिन्न रेलपथ का आरोहण गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिये 6 महीने में एक बार ये कारे चलाई जाती है सेक्शन की अधिकतम स्वीकृत गति पर रिकार्डिंग की जाती है
दोलन लेखो का विश्लेष्ण ओर परिणामो की व्यख्या -
(1) दोलन लेखिकार से प्राप्त दोलन लेखो का उर्ध्व ओर पर्शिवक त्वरण के लिये विश्लेषण किया जाता है
(2) रिकार्ड का विश्लेष्ण निम्नलिखित के अनुसार किया जाता है -
(क) सभी पीक आधार या शून्य लाइन से मापी जाये अर्थात जब वक्रो पर उठान कमी के कारण ट्रेस खिसक जाता है तो कोई छूट नही दी जाती है तथापि राइड सूचक परिकलनो के प्रायोजनार्थ पार्श्विक त्वरण पीक वक्रो पर विस्थापित आधार लाइन से मापा जाता है
(ख) थ्रेशहोल्ड मान से अधिक के उर्ध्व ओर पार्श्विक त्वरनो को प्रथक रूप गिना जाता है
त्वरण के थ्रेशहोल्ड मान निम्नलिखित प्रकार से किये जाये -
(i) लोको केब फ्लोर में उर्ध्वाधर दिशा में त्वरण का थ्रेशहोल्ड मान सभी इंजनो (डीजल ओर बिजली) के लिये 0.2g लिया जाता है
डबल स्टेज संस्पेशन सहित डीजल या बिलजी इंजनो के लिये (अर्थात डब्ल्यूडीएम -3 , डब्ल्यूडीएम -4 , डब्ल्यूएएम - 1 , डब्ल्यूएजी - 2/3 ,और डब्ल्यूएजी -2 के लिये ) पार्श्व मोड़ में त्वरण का थ्रेशहोल्ड मान 0.20g लिया जाता है सिवाय सिंगल स्टेज संस्पेशन वाले शोधित डब्ल्यूसीएएम , डब्ल्यूसीएम , डब्ल्यूसीएम - 2 , डब्ल्यूसीएम - 4 , और डब्ल्यूसीएम - 5 थ्रेशहोल्डमान 0.30g लिया जाये
(ii) सवारी गाड़ी फ्लोर पर - उर्ध्वाधर ओर पार्श्व मोड़ के लिये त्वरण का थ्रेशहोल्ड मान 0.15 g लिया जायेगा
(iii) विश्लेष्ण किलोमीटर वार किया जाता है ओर इंजिन विशेष के लिये थ्रेशहोल्ड मान से अधिक पीक की गणना के पश्चात परिणाम दिये जाते है
दोलन लेखी कार रिकार्डिंग का उपयोग -
(1) त्वरण के थ्रेशहोल्ड मान दिये गये है बेहतर राइडिंग सुनिश्चत करने के लिए उन स्थानों में रेलपथ पर ध्यान दिया जाए जहाँ थ्रेशहोल्ड मान से ऊपर पीक दिखायी दे
(2) केवल इस बात की जाँच करने के प्रयास नही किये जाने चाहिए कि दोष किस हद तक है बल्कि यह भी पता लगाया जाए कि क्या यह किसी सक्रिय पैच में तो नही हो रहा है क्योकि इस प्रकार की स्थिति में अधिक दोलन हो सकता है
पैरासैटिक गति
(1) शटलिंग
(2) लार्चिंग
(3) बाउंसिंग
(4) रोलिंग
(5) पिचिंग
(6) नोजिंग
(7) हंटिंग
गाड़ी को प्रभावित करने वाले घटक -
1. ट्रैक असमानताओ की आवृति
2. ट्रैक खराबी का स्पेसिंग
3. गाड़ी की गति
4. चालन की दशा
5. गाड़ी की नैसर्गिक आवृत्ति
सुवाह्य त्वरणमापी (पोर्टेबल एक्सलरोमीटर )-
(1) समान्य - जो एम एस - 2000 एक सुवाह्य त्वरणमापी उपकरण है जिसका प्रयोग दोलन नियन्त्रण के लिए किया जाता है यह सुवाह्य त्वरणमापी एवं पराक्रम ट्रांसद्यूसर यंत्र का प्रयोग करते हुये दोलन को विद्युतीय संकेत में बदलता है जो कि इलेक्ट्रानिक विधि व्दारा रिकार्ड किया जा सकता है और पीसी पर प्रोसेस किया जा सकता है
(2) संचालन - ओ.एम.एस. त्वरणमापी रेल इंजन केबिन पर या कोच के फर्श पर बोगी की धुरी के यथासंभव नजदीक रखा जाता है प्रत्येक रन में उसी कोच और गाड़ी की एक ही स्थिति में रखना श्रेयस्कर है रिकार्ड किये गए त्वरण को इलेक्ट्रानिक रिकार्डर पर स्थानांतरित कर वास्तविक समय के आधार पर प्रदर्शित कर पढ़ा जा सकता है संचित आंकड़े को अनुरक्षण योजना के लिए टीएमएस संगणक पर डाउनलोड किया जा सकता है यह उपकरण रेलपथ का प्रदर्शन उर्ध्वाधर एवं पार्श्व त्वरण के व्दारा मापता है मान की सीमा से अधिक होने पर होने पर तथा उनका स्थान निर्धारण एवं राइड इंडेक्स के रूप में करता है ये उर्ध्वाधर एवं पार्श्व दोनों के लिए उपलब्ध है
(3) रिकार्ड की आवृत्ति :
(क) ब्राड गेज :- 100 किमी / घंटा से अधिक गति - महीने में एक बार
अन्य - दो महीने में एक बार
(ख) मीटर गेज : 70 किमी / घंटा से अधिक - महीने में एक बार
अन्य - दो महीने में एक बार
उपरोक्त अनुसूची केवल एक दिशा - निर्देश है उपकरण की उपलब्धता एवं इसके प्रयोग के आधार पर मुख्य अभियंता इसमें परिवर्तन कर सकता है अभी ए, आवश्यकता के अनुसार तय किया जा सकता है
4 ) त्रुटियों का रिकार्ड - रेलपथ की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने में उर्ध्वाधर एवं पार्श्व त्वरण पीक के मान का नीचे लिखे गये मान से अधिक होने पर विचार किया जाता है
ब्राडगेज -
110 किमी/ घंटा से अधिक गति 0.15g से अधिक
वाले ए एवं बी मार्ग
अन्य मार्ग 110 किमी / घंटा तक 0.20g से अधिक
मीटर गेज - 0.20g से अधिक
(5) रेलपथ की गुणवत्ता का वर्गीकरण - किसी स्टेशन के अंतर्गत आने वाली (रेपिन का अधिकार क्षेत्र , उपमंडल /मंडल ) सतत रेलपथ की गुणवत्ता का वर्गीकरण करने के लिए निम्नलिखित मानको का प्रयोग किया जाता है (पीक की प्रति किमी औसत कुल संख्या)
उपरोक्त मानक रेलपथ की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए है फिर भी यदि 0.30g से अधिक वाले उर्ध्वाधर एवं पार्श्व त्वरण पीक की औसत संख्या 0.25 प्रति किमी या किसी विशेष किमी में एक से ज्यादा हो तो , रेलपथ पर ध्यान देना होगा ऐसे सभी स्थान जहाँ पर पार्श्व एवं उर्ध्वाधर पीक 0.35g से अधिक है , वहाँ रेलपथ पर तत्काल ध्यान देना होगा
रेलपथ के राइडिंग क्वालिटी का मानिटरिंग - जहाँ ट्रैक रिकार्डिंग कार ट्रैक ज्यामिति रिकार्ड करता है वही हैलेड ट्रैक रिकार्डर , दोलन लेखी कार और सुवाह्य त्वरणमापी वर्टिकल और लेटरल त्वरण रिकार्ड करता है जिस पर राइडिंग क्वालिटी निर्भर करती है
हैलेड ट्रैक रिकार्डर -
(1) सामान्य - हैलेड ट्रैक रिकार्डर एक ऐसा उपकरण है , जो ऐसे रेलपथ के संरेखण और सतह के दोषों का ग्राफिक रिकार्ड बनाता है जिस पर से रिकार्डर ले जाया जाता है
इस उपकरण के मुख्य भाग निम्नलिखित है -
(क) यंत्र - चालित घड़ी व्दारा एक निश्चित गति पर घूमने वाला एक ड्रम जिसमे कार्बन पर 100 मिमी चौड़ी कागज की एक पट्टी लगी होती है जिस पर चार्ट अंकित होता है
(ख) विभिन्न दिशाओ में संचलन संवेदी पेंडुलम के चार सेट जो उन दिशाओ में वाहन और रेल पथ के दोलन को रिकार्ड करता है
(2) ऐसे मार्ग जहाँ पर रेलपथ निरिक्षण के लिए हैलेड ट्रैक रिकार्डर इस्तेमाल किया जाता है , वहाँ निरिक्षण की आवृत्ति निम्नलिखित है -
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