रेलों का परीक्षण
जब रेल फटिंग और घर्षण (घिसाव) अत्यधिक मात्रा में हो रही हो तो रेल दोष की जाँच करनी चाहिए । रेल के दोषो का पता या तो खुली आँखो से देखकर लगाया जा सकता है या फिर रेल फ्लॉ जाँच मशीन से ।
(1) रेल सिरों की आखों द्वारा जाँच :-
ज्यादातर रेल दोष रेलों के सिरो पर बनती है। रेल सिरो पर क्रेक जाँच लुब्रीकेशन करते समय तार ब्रश से रेल सिरे को साफ कर उत्तल लेंस की मदद से की जाती है। रेल के फुट की जाँच के लिए छोटे दपर्ण की मदद ली जानी चाहिए। इस तरह की जाँच गर्डर पुलिया और उसके एप्रोचो पर साल में दो बार करनी चाहिए ।
(2) रेलों की अल्ट्रासोनिक जाँच :-
रेल पटरीयों का पराश्रव्य परीक्षण एक विशेषज्ञता युक्त कार्य है तथा रे ल पटरीयों पर इन परीक्षणो को करने वाले निरीक्षक को आरडीएसओ द्वारा यूएसएफडी के परीक्षण की तकनीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रत्येक क्षेत्रीय रेल्वे पर्याप्त संख्या के निरीक्षक के गैर केडर पदों का सृजन करेंगे जिससे उनके अधिकार क्षेत्र में स्थित पूरी रे लपथ लम्बाई का निर्धारित अवधि पर पराश्रव्य परीक्षण सम्पन्न होना सुनिश्चित हो सके । भारतीय रेलों पर पराश्रव्य तकनीकी द्वारा दोष संसूचन दो विभिन्न प्रकार के उपकरणों यथा एकल रेल परीक्षण यंत्र तथा दोहरी रेल परिक्षण यंत्र द्वारा किया जाता है।
प्रोब के विवरण व उनके उपयोग निम्नलिखित है :-
जल को युग्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है जिसकी आपूर्ति ट्रॉली के साथ सम्बद्ध जल पात्र से की जाती है। 45° प्रोब टेस्ट रीग के समय युग्मक के रूप में आरडीएसओ द्वारा प्रमाणित संख्या डब्लूडी-17-एमआईएससी-92 या डब्लूडी-24-एमआईएससी-2004 वाला सॉफ्ट ग्रीज का इस्तेमाल किया जाता है।
रेल पटरियों के दोष हेतु प्रोब के कार्य व सुग्राहयता की जाँच -
(क) सामान्य प्रोब - उपकरण मानक रेल पटरी खण्ड के वैब-पाद जंक्शन पर 5 मिमी व्यास के छिद्र का पता लगाने में सक्षम हो। दोष प्रतिध्वनि का आयाम 3 अंश तक अर्थात पूरे पर्दे की उँचाई के 60% तक, यूएसएफडी की गेन नियंत्रक द्वारा समंजित किया जाये (जंक्शन बॉक्स मे विभवमापी नोब की स्थिति 50% घुमाव पर सैट की जाए)
(ख) कोणीय प्रोब 70° (फारवर्ड और बैकवर्ड ) - उपकरण मानक रेल पटरी अंश के शीर्ष भाग में आवश्यकता पर आधारित मापदंड हेतु 12 मिमी व्यास के छिद्र का फारवर्ड तथा बैकवर्ड दोनों प्रोब द्वारा पता लगाने में सक्षम होगा। दोष का आयाम 3 अंश अर्थात परदे के ऊँचाई का 60% पर समंजित किया जायेगा। इस संमजन को जंक्शन बॉक्स में लगे हुए पृथक विभव मापी द्वारा किया जायेगा ।
(ग) गेज फेस कॉर्नर 70° प्रोब (फारवर्ड तथा बैकवर्ड) - उपकरण 5 मिमी व्यास वाले एफ बी एच होल को पता लगाने में सक्षम होगा। आवश्यकता पर आधारित संकल्पना में मानक रेल के हेड में उपयुक्त मशिन (इलेक्ट्रॉन ड्रिलिंग मशीन) द्वारा एफ बी एच होल किया जाता है।
यूएसएफडी की आवश्यकता आधारित अवधारणा हेतु रेल / वेल्ड दोषो का वर्गीकरण :-
रेल दोषों का वर्गीकरण
(1) आई. एम. आर. डिफेक्ट
(2) ओ. बी. एस. डिफेक्ट
रेल टेस्टिंग की आवृति -
प्रारंभिक स्वीकृति परीक्षण - रेल निर्माण के उपरांत (प्लांट में)
प्रथम आवधिक परीक्षण - टैस्ट फ्री अवधि के बाद
टैस्ट फ्री अवधि - अप्रैल 1999 के पहले निर्मित रेल जीएमटी का 15%
- अप्रैल 1999 या उसके बाद निर्मित रेल जीएमटी का 25%
उत्तरगामी परीक्षण सेक्शन की जीएमटी के अनुसार (शु. पत्र सं. 2 के अनुसार)
एसकेवी वैल्ड की टेस्टिंग आवृत्ति एटी वैल्डिंग नियमावली के अनुसार एस के वी वैल्ड परीक्षण का प्रकार
प्रारंभिक स्वीकृति परीक्षण - वैल्ड के सम्पादन के तुरन्त पश्चात
प्रथम आवधिक परीक्षण - वैल्ड के एक वर्ष का सेवा काल पूर्ण होने पर
उत्तरगामी परीक्षण = सेक्शन की जीएमटी के अनुसार
एकल (सिंगल) रेल टेस्टर - यह एक बार में केवल एक रेल पटरी के परीक्षण में समर्थ है तथा इसमें पाँच प्रोब यथा 0° 70° फारवर्ड, 70° बैकवर्ड सेंट्रल प्रोब तथा 70° फारवर्ड, 70° बैकवर्ड गैज फेस कॉर्नर प्रोब होते है। सामान्य प्रोब (0°) का प्रयोग शिर्ष, वेब तथा पाद में स्थित क्षैतिज दोषों का पता लगाने में किया जाता है। 70° प्रोब को विशेषतया रेल शीर्ष में दोषों का पता लगाने हेतु प्रदान किया गया है। इस प्रकार के दोषों के प्रमुख प्रकार अनुप्रस्थ दरार अथवा गुरदेनुमा विभंजन है। यदि ऊपर दर्शाये गये प्रोबों द्वारा कोई दोषों का संकेत प्राप्त होता है तो वह कैथोड किरण नलिका की स्कीन पर इंगित होता है। यह पता लगाने के लिये किस प्रोब ने दोष को संसूचित किया है। उपकरण में प्रयोग प्रोब के प्रचालन को पृथक-2 बन्द करने का प्रावाधान किया गया है।
डबल रेल टेस्टर - डबल रेल टेस्टर एक ही समय में दोनों रेलों की जाँच करता है। प्रत्येक रेल के लिये केवल तीन प्रोब निर्धारित किये गये है 0°,70° अग्र 70° पश्च । यह उपकरण एकल रेल टेस्टर से अलग होते हैं। इसमें बहु चैन ल सुविधा प्रदान की गई है। प्रत्येक प्रोब से प्राप्त संकेत की एक प्रोब को बंद करने की विधि का सहारा लिये बिना तत्क्षण पहचान की जा सकती है। इसमें सीआरटी स्क्रीन के अतिरिक्त एलईडी डिस्प्ले तथा आडियो अलार्म भी उपलब्ध रहते हैं। सामान्य प्रोब क्षैतिज दोषों की जाँच हेतु तथा 70° प्रोब का उपयोग रेल हेड में अनुप्रस्थ दोषों की जाँच हेतु किया जाता है। बोल्ट होल दोष की जाँच हेतु यह उपकरण बैंक वाल ड्रॉप के सिद्धांन्त पर कार्य करता है।
यदि बोल्ट होल दोष की कोई घटना होती है तो बैंक वाल पर प्रतिध्वनि का आयाम कम प्रतीत होता है जिसमें अलग आडियो अलार्म होता है तथा ए लईडी डिस्प्ले होता है। डबल रेल टेस्टर की शुरुआत विशेषतः परीक्षण की उत्पादकता बढाने और साथ ही साथ गुणवता एवंम् शुद्धता में सुधार हेतु की गयी है। चूंकि इसमें पह ले से ही अंशांकित सुविधा दी जाती है अतः बार बार अंशांकित करने की आवश्यकता नही होती है।
फिश प्लेट जोडो पर प्रोबों के बहुधा गलत संरेखण होने तथा प्रतिकूल स्थिति विन्यास व आकार की बोल्ट छिद्र दरारों के संसूचन की परिसीमाओं के कारण ए लडब्लूआर / सीडब्लूआर सेक्शनों पर दोहरी रेल परीक्षण यंत्र का उपयोग करना वांछनीय है। एलडब्लूआर / सीडब्लूआर सेक्शनों के अलावा अन्य खण्डों पर परीक्षण हेतु केव ल एकल रेल परीक्षण प्रकार के यन्त्र का उपयोग करना वांछनीय है।
रेल पथ फैल्योर का रजिस्टर
सभी प्रकार के रेल फेल्योर को रेल पथ निरीक्षक के रजिस्टर में अंकित किया जायेगा । इस उद्देश्य के लिये रेल फेल्योर चाहें वह रनिंग लाईन में हो, प्वाइंट एवं क्रॉसिंग पर हो तो प्रत्येक के मामले में रेल फेल्योर का प्रकार, रेल की आयु उपरोक्त रजिस्टर में इंगित करना चाहिये । उपरोक्त रजिस्टर को एक मुख्य रिकार्ड मानना चाहिये तथा रे ल पथ निरीक्षक के कार्या लय में रखना चाहिये ताकि सांख्यिकीय विश्लेषण या नवीकरण कार्य करने हेतु, इस रजिस्टर का उपयोग किया जा सके। संबन्धित सहायक मण्ड ल अभियंता को साल भर में एक बार उपरोक्त रजिस्टर को मंगाना चाहिये ।
रेल फेल्योर की रिपोर्ट-
सेक्शन रजिस्टर में रेल फेल्योर का रिकार्ड के अतिरिक्त निम्न को छोडकर सभी दशाओं में रेल पथ फेल्योर की रिपोर्ट परिशिष्ट 2/10 के अनुसार बनायी जायेगी ।
(क) रेल फेल्योर की घटना यदि नॉन रनिंग लाईन पर हो ।
(ख) वे रेले जो मानक आयाम को पूरी न करती हो
(ग) यदि रेल को कैजुअल रिनुअल द्वारा बदली किया गया है जो कि असामान्य दुर्घटना जैसे व्हील बर्न, स्कैबिंग बकलिंग डिरे लमेंट, आसामान्य रूप से लोको का फिस ल जाना, अत्यधिक घिसाव, संक्षारण के द्वारा भार में कमी, बैटरिंग या होलों का बढ़ जाना ।
(घ) मशीन ज्वाईंट, स्विच प्रसार जोड, प्वाइंट एवम् क्रासिंग इत्यादि ।
इस उद्देश्य के लिये रेल पथ निरीक्षक परिशिष्ट 2/10 के अनुसार 4 कापी में रिपोर्ट तैयार करेगा और उनमें से तीन कापी सहा.मं.इंजी. को भेज देगा तथा सहा. मं. इंजी. इस कापी पर टिप्पणी करते हुए मण्ड ल अभियंता को भेज देगा। एक कापी मुख्य इंजी. तथा एक कार्यकारी निदेशक/आरडीएसओ अभिलेख को भेजी जायेगी। अगर फेल्योर धातुकर्म की खराबी से संम्बन्धित है तो रिपोर्ट को पांच कापियों में बनाना चाहिये तथा अतिरिक्त कापी को जोन के केमिस्ट तथा मेटलरजिस्ट के पास नमूनों के साथ भेजना चाहिये।
मंडल इंजी. के द्वारा यह प्रयास करना चाहिये कि कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) / आरडीएसओ के पास रिपोर्ट रेल फेल होने के 15 दिन के अन्दर पहुँच जाये। कार्यकारी निदेशक वार्षिक रेलफेल होने की घटनाओं का विश्लेषण रेलपथ निरीक्षक की प्राप्त रिपोर्ट से करेगा तथा फेल्योर को कम करने के लिए सुझावों के साथ रिपोर्ट को छापेगा।
फ्रैक्चर से सम्बन्धित रेखाचित्र तैयार किया जायेगा तथा प्रत्येक स्थिति में फेल्योर रिपोर्ट के साथ जमा किया जायेग, यह सावधानी रखी जायेगी कि रेल का रनिंग फेस प्रदर्शित किया गया हो । फेल्योर रिपोर्ट में विशेष रूप से आरडीएसओ मोनोग्राफ में आइटम नं. 5.3 "रेलों का फेल्योर विवरण, वर्गीकरण तथा रिपोर्टिंग" के अनुसार रिकार्ड आवश्यक है।
अधिकांशतः फेल्योर का कारण बिना धात्विक छानबीन के आंखों से देखकर । अल्ट्रासोनिक परीक्षण के द्वारा जानना संभव होता है। फिर भी नीचे दी गयी सूची वाले फेल्योर का सही कारण प्राप्त करने के लिए सम्बन्धित रेल्वे से केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट को पूरा धात्विक परीक्षण करना जरूरी है। इस स्थिति में रेल फेल्योर की रिपोर्ट निर्धारित पत्र पर बनाना चहिये तथा आइटम न. 5.3 के अनुसार सर्वसंभावित कोड लिखना चाहिये तथा यह प्रदर्शित करना चाहिये कि नमूने को धात्विक छानबीन के लिए केमिस्ट तथा मेटलजिस्ट के पास भेजा गया है या नहीं।
यदि रेल फेल्योर को देखकर पहचाना गया हो तो रेलपटरी के लगभग 1 मी (500+500 मिमी) लम्बे टुकडे को रेलपथनिरीक्षक के द्वारा सीधे ही केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट के पास भेजा जायेगा जिसके साथ रेल फेल्योर की रिपोर्ट होगी तथा केवल उन्ही स्थितियों में लागू हो जिनका नीचे उल्लेख किया गया है। दूसरी स्थितियों में अर्थात जो अल्ट्रासोनिक फलाडिटेक्टर द्वारा पहचानी गई है उन रेलों को मेटलर्जिकल टेस्ट के लिए भेजा जायेगा जो कि रेलों के नवीनीकरण के क्राइटेरिया के आधार पर ट्रैक से निकाली गई है तथा नीचे दी गई सूची के अंतर्गत आती है। केवल उन्ही रेलों को मेटलर्जिकल टेस्ट के भेजा जायेगा जो टैस्ट फ्री अवधि में रोलिंग के 10 वर्षों के अन्दर फेल हुई है तथा इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जायेगी।
एक ही रॉलिंग मार्क वाले रेलों के बार बार फेल होने पर लगभग 1 मी छोटे रेल पीस जिसमें फ्रैक्चर/फ्लॉ हो कैमिस्ट तथा मैटलर्जिस्ट को रेल फ्रैक्चर रिपोर्ट के साथ चाहे फैल्योर किसी भी प्रकार का हो, धातुकर्मीय परीक्षण हेतु भेजा जाना चाहिये। एक ही रॉलिंग मार्क की रेलों के बार- बार फेल होने पर सीटीई द्वारा कैमिस्ट तथा मैटलरजिस्ट द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के साथ (कैमिकल तथा मैटलर्जिकल कारणों से फेल होने पर कार्यकारी निदेशक (एम और सी) / आरडीएसओ के पास भेजेगा। रेल/वैल्ड फैल्योर गाडी दुर्घटना का प्राथमिक कारण होने पर भी 1 मी का रेल पीस भेजेगा । केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट के पास टेस्ट पीस भेजने से पहले निम्न बातों को सुनिश्चित किया जाना चाहिये -
(1) रेल फेल्योर टैस्ट फ्री अवधि, जो कि रॉलिंग के बाद अधिकतम 10 वर्ष के अन्दर हुआ है भले ही वह किसी भी प्रकार का फ्लॉ फ्रैक्चर हो।
(2) रेलों को देखकर या अल्ट्रासोनिक डिटेक्शन के परिणाम कारण रे लपथ से हटा दिया गया है और फेल्योर केवल नीचे दी गई सूची के अन्तर्गत आते है।
(3) उन रेलों को, जहाँ रेल/वेल्ड फेल्योर ट्रेन दुर्घटना का प्राथमिक कारण है, आरडीएसओ भेजा जाना चाहिए ।
(4) एक ही रॉलिंग मार्क की रेलों के बार बार फेल होने पर चाहे फैल्योर किसी भी प्रकार का हो ।
गांरटी समय के अंदर आयातित रेलों का फेल होना-
गारंटी समय के अन्दर यदि आयातित रेल फेल होता है तो 1 मीटर (500 मिमी 500 मिमी) का टुकडा, जिसमें फ्रैक्चर/ दोष आँख से दिखाई दे या अल्ट्रासोनिक डिटेक्टर के द्वारा दिखाई दे, को केमिस्ट तथा मेट लर्जिस्ट के पास रेल फ्रैक्चर रिपोर्ट के साथ मेटलर्जिकल जांच के लिए भेजना चाहिये ।
मेटलर्जिकल जांच के लिए नमूनों को भेजने की विधि फ्रैक्चर्ड रेल के केस में, दोनों टुकडे (500 मिमी लम्बे अर्थात कुल 1 मी) जिसमे फ्रैक्चर्ड सतहे हो, को जांच के लिए केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट के पास भेजा जायेगा तथा रेल्वे के केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट जांच करेंगे तथा रिपोर्ट की एक प्रति मुख्य इंजीनियर को तथा आरडीएसओ के कार्यकारी निदेशक को भेजेंगे।
अगर अयातित रेलें गारन्टी समय के अन्दर हो तथा जांच से मेटलर्जिकल खराबी का पता चले तो मुख्य इंजीनियर तुरंत, रेल्वे के केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट के द्वारा भेजी रिपोर्ट के कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) द्वारा पुष्टिकरण के पहले, एक प्रोवीजनल दावा निर्माता से करेगा। कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट द्वारा जमा की गयी रिपोर्ट को जांचेगा तथा अपनी सहमति को मुख्य इंजीनियर को सूचित करेगा। अगर कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) आरडीएसओ को ऐसा लगता है कि अधिक जांच की आवश्यकता है तो वह नमूने को रेल्वे के केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट के पास से बुला सकता है तथा मुख्य इंजीनियर को सूचित करेगा ।
कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) आरडीएसओ की सलाह के आधार पर मुख्य इंजीनियर निर्माता पर शिकायत को अंतिम रूप देगा। आयातित रेलों के अलावा अन्य प्रकार की रेलों के फेल्योर के केस में कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी) आरडीएसओ नमूनों को जहाँ आवश्यक हो, केमिस्ट तथा मेटलर्जिस्ट से पुष्टिकरण परीक्षण के लिए मंगा सकता है। समीक्षा की अवधि में रेलों के फेल होने के प्रवृत्ति के सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर कार्यकारी निदेशक (एम एंड सी), निर्माण संबंधी दोष की प्रमुखता को स्वदेशी निर्माताओं और निरीक्षण एजेंसी के संज्ञान में अपेक्षित निवारक कार्यवाही के लिये लायेगा । (शु.प. सं. 122 दि. /11/10)
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