रेल पथ को उठाना (लिफ्टिंग ) :-
1) उपरी सतह को अच्छा रखने के लिए रिग्रेडिंग के समय तथा उचित रूप से अनुरक्षण न होने या नर्म मिट्टी के कारण रेलपथ का हल्का सा बैठ जाने पर उसे उठाना आवश्यक होगा
3) रेलपथ उठाने का भारी काम हमेशा गरी प्रतिबन्ध तथा तदनुरूप इंजीनियरी सिंगन ला की सुरक्षा के अंतर्गत करना चाहिए सही समेकन लाने के लिए एक बार में 75 मिमी. से अधिक नही उठाना चाहिए रेलगाड़ियो के पारगमन के लिए 13 मी. लम्बी रेल पर 25 मिमी से अधिक खडी ढाल नही होनी चाहिए रेलपथ की यह क्रिया तब तक पुनरावर्तित करनी चाहिए जब तक की वह अपेक्षित स्तर तक ऊँचा न हो जाए और तब रेलपथ को पूर्णतया गिट्टी भर थ्रू पैक कर बाक्स कर दिये जाये और सेस को उचित स्तर तक बना दिया जाए
4) पुलों के नीचे तथा शिरोपरी संरचनाओ और सुरंगो में रेलपथ उठाते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानक आयामों का उल्लंघन न हो
5) इकहरी लाइन के मामले में रेलपथ उठाने का काम निचले सिरे से शुरू करके उठते ग्रेड की दिशा में करना चाहिए दोहरी लाइन के मामले में यह यातायात की विपरीत दिशा की ओर किया जाना चाहिए यह ध्यान रखना चाहिए कि यह सुविधा ग्रेड से अधिक न हो जाए
6) वक्रो के मामले में, सामान्यत: भीतरी रेल को सही स्तर तथा ग्रेड तक set करना चाहिए तथा रेलपथ को आपेक्षित वाह्योत्थान देने के लिए बाहरी रेल को ऊँचा उठाना चाहिए ऐसा करते यह ध्यान रखना चाहिए कि उठान ढाल अनुमत सीमा के भीतर है
रेलपथ की लोअरिंग : -
1) जब तक अपरिहार्य न हो रेलपथ को नीचा करने का काम नही करना चाहिए और यदि ऐसा किया जाये तो इसे उचित गति प्रतिबन्ध तथा इंजीनियरी सिगन लो की सुरक्षा के अंतर्गत किया जाना चाहिए
2) जब रेल पथ की नीचा किया जां हो तो प्रत्येक 30 मी. पर अंतिम सतह तक खाई खोदी जाए जिससे काम के दौरान लगातार संकेत मिल सके गिट्टी रेलपथ से पर्याप्त दूरी पर हटा देनी चाहिए ताकि खोदी गयी सामग्री उसमे मिलने न पाये
3) इसके लिए कार्यविधि यह होनी चाहिए कि पहले स्लीपरो के बीच की जगह साफ़ की जाए, उसके बॉस रेलपथ को थोडा उठाकर उसके नीची की पैकिंग को तोडा जाए और फिर स्लीपरो के बीच की जगह में इसे समतल किया जाए तब इस सामग्री को हटा दिया जाए और इसप्रकार बार - बार यह कार्य किया जाए जब तक की अपेक्षित सतह तक न पहुँच जाए उसके बाद रेल पथ मर गिट्टी भरकर थ्रू पैक कर बाक्सिंग कर देना चाहिए और सेस को उचित सतह तक काट दिया जाए
4) रेल पथ ऊँचा करने की भांति उसे नीचा करने में भी एक बार में 75 मिमी का अधिकतम प्रतिबन्ध होना चाहिए और रेलगाड़ियो के पारगमन के लिए 13 मी. लम्बी रेल पर 25 मिमी. से अधिक खडी ढाल नही होना चाहिए उंचा करने की विधि के विपरीत नीचा करने के लिए नीची ढाल की दिशा में काम किया जाना चाहिए
5) रेलपथ को ऊँचा या नीचा करने का कार्य रेलपथ निरीक्षक की उपस्थिति में किया जाना चाहिए
क्रीप
1) सामान्य - रेल का स्वभाव होता है ट्रेन यातायात की दिशा में सतत चलना इसका कारण है कि चलते लोड की वजह से ट्रैक का ख़राब होना, अचानक किये गये ब्रेकिंग, रेल के जोड़ो पर चक्कों के आघात, रेल खिसकना और खिंचाव होता है
क्रीप के कारण ट्रैक में निम्न प्रभाव होता है -
(क) फिटिंग का ढीला होना
(ख) स्लीपर का ब्द्गुनिया हो जाना
(ग) रेल जोड़ो में गेप ज्यादा होना
(घ) गेज में खराबी
(ड) सीमान्त स्थिति में बकलिंग
(2) क्रीप के कारण -
(क) स्लीपर फास्टिंग का तो लोड km होना
(ख) अप्रभावी या ख़राब अनुरक्षित रेल जोड़
(ग) अपर्याप्त बैलास्ट प्रतिरोध
(घ) फिटिंग की कमी होना
(ड) भारी यातायात की अपेक्षा रेलों का हल्का सेक्शन
(च) ढीली पैकिंग का होना
(छ) अपर्याप्त प्रसार गैप
(ज) ख़राब स्लीपर, स्लीपरो की असमान स्पेलिंग
(झ) अपर्याप्त ड्रेनेज
(ट) कमजोर फार्मेशन
(ठ) धातु स्लीपर में रेल सीट पर घिसाव
(3) क्रीप कम करने के लिए सावधानियां -
(अ) क्रीप कम करते समय यह सुनिश्चित करे की रेल स्लीपरो के साथ बंधी हो और पर्याप्त मात्रा में गिट्टी हो सभी स्पाईक्स, स्क्रू और चाबीयां सुनिश्चित जगह पे हो स्लीपरो को योग्य तरह से पैकिंग करे, क्रिब और शोल्डर की गिट्टी अच्छी तरह से ह्वारी करे और जरूरत हो तो रेल एंकर लगाना चाहिए
आ) सभी ट्रफ स्लीपर और सीआई प्लेट स्लीपरो के केस में परम्परागत फास्टिंग और इलास्टिक फास्टिंग और अन्य टाईप की फास्टिंग पर्याप्त टो लोड के साथ प्रप्योग में लाए तब कोई समस्या सामान्यत: नही होती है सिंगल रेल में लगातार 6 जाम जोड़ो के ऊपर वर्जित है जोन I और II के लिए जहाँ तापमान टीएम के नीचे हो और तापमान जोन III और IV के लिए टीएम + 5, एसडब्ल्यूआर में लगातार 2 जाम जोड़ो के ऊपर वर्जित है गर्डर पुलों पर सामान अन्तराल पर समायोजन करे गर्डर पुलों के पहले पर्याप्त दूरी पर एंटी - क्रीप उपकरण लगाया जाना चाहिए
(इ) पीएससी स्लीपरो मर लगाये गये लचीले फास्टिंग क्रीप रोधक के रूप में कार्य करता है इसलिए वहां क्रीप एंकरों की जरूरत नही होती यदि पीएससी स्लीपर ट्रैक पर क्रीप की मात्रा अधिक है तो लचीले फास्टिंग की स्थिति, स्लीपरो की स्थिति और गिट्टी की आपूर्तता चेक करे ट्रैक में नवीनीकरण या बदलाव करते वक्त यह सुनिश्चित करे कि फिटिंग, स्लीपर और गिट्टी द्वारा पर्याप्त मात्रा में सही कार्य कर रही है क्रीप रजिस्टर मानक फॉर्म में भरना चाहिए रजिस्टर में नोट करते समय पूर्ण विवरण भरना है जैसे क्रीप का किमी. सेक्शन, रेल की लम्बाई, स्लीपरो की सघनता, प्रकार और कितने मात्रा में रेल एंकर्स लगा है प्रति रेल लम्बाई के हिसाब से मानक फार्म में निश्चित अन्तराल के काम का विवरण पूर्ण रूप से भरे अलग - अलग किमी. अलग - अलग पन्ने में भरे क्रीप की दर के अनुसार मंडल अभियंता क्रीप मापने की आवृत्ति तय की जानी चाहिये सहायक अभियंता द्वारा जहाँ क्रीप की मात्रा अधिक है, वहां के रजिस्टर समय - समय पर चेक करना चाहिए
(5) क्रीप संकेतक पोस्ट - प्रति किमी. लगाना चाहिए और वह ट्रैक के समानांतर और सेस पर लगे हो post बनाते समय पुरानी रेल पर छैनी से मार्क करे और मार्क को जोसो की तरफ लगाकर रेल स्थ से 25 मिमी ऊपर रख के क्रीप माप जाता है
(6) क्रीप की अनुमत सीमा - 150 मिमी के ऊपर क्रीप अनुमत नही है
(7) क्रीप की अनुमत सीमा - निम्नलिखित तरह से क्रीप का समायोजन किया जाता है -
(अ) सावधानीपूर्वक विस्तार गैप का माप लेना चाहिए एक ही बार सभी गैप को लम्बाई बांटना चाहिए लम्बाई में पूरे विस्तार गैप का माप, उस तापमान के अनुसार मानक विस्तार गैप के बराबर हो और जोड़ो की संख्या उसके लम्बाई अनुपात में हो
(आ) जहाँ लम्बाई का अंत होता है वहाँ से कार्य शुरू करे समान्यत: पाईटस और क्रासिंग के पीछे या फिर समपार फाटक के पहले या बाद में शुरू करते है यह कार्य रेल पथ निरीक्षक द्वारा लगाए इंजीनियरिंग सिग्नल बचाव के साथ करना चाहिए लाइनर को विस्तार गैप में सही विठाना, रेल पहारी की मदद से पीछे खिचना अगर फिश प्लेट पुरी निकलती है तो टॉमी को होल में फंसाकर छड को खीचिए बाद में रेल को चाबियाँ लगाइये, सभी जोड़ो के बोल्ट कसना और विस्तार लाइनर निकाल के अगले जोड़ की तैयारी करे
(इ) गरमी के मौसम से पहले क्रीप का समायोजन करना रहता है दिन में km तापमान होने की वजह से जोड़ो का खिचाव अच्छा होता है
(ई0 क्रीप के समायोजन में हाइड्रालिक और मेकेनिकल उपकरण प्रयोग में लाये जाते है यह साधन बड़े गैप में दोनों बाजू लगाया जाता है बड़े विस्तार के जोड़ो में विस्तार लाइनर लगाकर सभी चाबियां और फिश बोल्ट को ढीला करते है एडजस्टर रेल सिरों के बीच खींचते हुए दोनों सिरों के बीच में पर्याप्त दूरी बनाता है इसके बाद एडजस्ट किये हुए रेल को चाबी से कसा जाता है
(उ) इस मशीन को अगले रेल के आगे जोड़ा जाता है तथा रेल और उसके पीछे की चाबी, स्पाइक और बोल्ट ढीले किए जाते है रेल को सामान्य गैप मिलने तक खींचा जाता है मशीन को फिरसे अगले रेल पर लगाया है और रेल को विस्तार लाइनर के प्रति खींचा जाता है
(ऊ ) जब वर्तमान कुल गैप का परिणाम समयोजन के समय ताप के लिये जोड़ो की संख्या से गुणा करने पर अपेक्षित मानक विस्तार गैप से अधिक हो तो यह आवश्यक है कि क्लोजर रेलों की व्यवस्था की जाय जब क्लोजर रेले लगाई जाए तब 30 किमी / घंटा की गति प्रतिबन्ध लगाया जाए जिसे क्लोजर रेल बदलने के बाद हटा देना चाहिए
(ए) सरकन के समायोजन के दौरान, यदि आवश्यक हूँ तो स्लीपर अंतरण को समयोजित करना चाहिये, जोड़ और शोल्डर स्लीपर अंतरण की ओर विशेष ध्यान दिया जाये
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