पेंड्राल क्लिप या इलास्टिक रेल क्लिप :-
भारतीय रेल में यह एक मानक लचीली फासनिंग है पेंड्राल क्लिप पी. आर. 401 (जिसे इलास्टिक रेल क्लिप कहा जाता है ) पहले के दिनों में मेसर्स गेस्ट, कीन्स एण्ड विलियम्स के द्वारा उत्पादित की जाती थी यह "लगाओ और भूल जाओ" प्रकार के बंधन था जिसमे अनुरक्षण के दौरान km समय देने की जरूरत पडती थी पेंड्राल क्लिप का निर्माण सिलिको मैंगनीज स्प्रिंग स्टील के 20.6 मिमी के व्यास के छड़ो को टाप उपचार विधि द्वारा बनाया जाता है 11.4 मिमी के साधारण डिफ्लेशन पर यह 710 किग्रा. का टो लोड दिखलाता है यह टो लोड इतना पर्याप्त है कि रेल को स्लीपर पर परस्पर चलने से रोकता है पेंड्राल क्लिप को लगाने के लिए 4 पोंड हथोडा का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए कोई अतिरिक्त सामान की आवश्यकता नही होती है
सही टो लोड को सुनिश्चित करने के लिए पेंड्राल क्लिप को इस तरह से लगाना चाहिए की उसके बाहरी पैर सीआई इन्सर्ट के बाहर के भाग पर फिट रहे ईआरसी तीन प्रकार के बनाये गये है
1. राउंड टो - ईआरसी
2. फ़्लैट टो - ईआरसी
रबर पैड
लचीले बन्धन में रबर पैड एक अहम भूमिका निभाती है यह स्लीपर और रेल के बीच में लगाई जाती है तथा यह निम्न कार्य करता है -
1. ये आघात को शोषित करता है
2. कम्पन को मंद करता है
3. आड़े दिशा में रेल को चलने से रोकता है
4. रेल के निचले तल को स्लीपर के उपरी सतह के सम्पर्क में आकर घिसने से बचाते है
5. रेल और स्लीपर के बीच विद्युती क्षेत्र में विद्युत् अवरोधक का कार्य करते है
6 मिमी मोटे खांचेदार रबर पैड : 60 किग्रा यूआईसी रेलों पर इस्तेमाल के लिए आरडीएसओ द्वारा एक नये प्रकार का कान वाला 6 मिमी मोटा खांचेदार रबर पैड (ड्राइंग संख्या आरडीएसओ / टी - 31 0 विकसित किया गया है यह देखा गया था कि 4.5 मिमी मोटाई वाले सामान्य रबर पैड (आईआरएसटी - 37 - 1982 ) 6 से 7 साल के अंदर ही ख़राब हो जाती है इस लिए 60 किग्रा यूआईसी रेलों के लिये नये प्रकार के खांचेदार युक्त रबर पैड का निर्माण किया गया है जिनकी आयु 15 से 20 साल होती है
कम्पोजिट लाइनर - भारतीय रेल में नायलान इंसुलेटिंग लाइनर का प्रयोग ट्रैक सर्किट क्षेत्र में या अधिक जंग लगने वाले क्षेत्र में किया जाता है पेंड्राल क्लिप के टो - लोड के कारण कभी कभी पेंड्राल क्लिप को लगाते या निकालते समय यी लाइनर टूट जाते है अत: आरडीएसओ द्वारा कम्पोजीट लाइनर विकसित किये गये है ये दो प्रकार के है -
1. एमसीआई तथा नाइलान कम्पोनेंट्स युक्त (ड्राइंग संख्या आरडीएसओ / टी - 653 /1)
2. माइल्ड स्टील तथा नाइलन युक्त कम्पोनेंट्स (ड्राइंग संख्या आरडीएसओ / टी - 1895)
उपरोक्त लाइनरो का विकास ब्रिटिश रेलवे के डिज़ाइन पर आधारित है जो कि यहाँ पर पिछले कई सालो से बिना रुकावट के उपयोग में लाए जा रहे है
ग्लास फिल्ड नाइलोन लाइनर (जीएफएन - 66 ) का विकास किया जो अत्यधिक कोरोजन प्रोन, ट्रैक स्कीटेड क्षेत्र अथवा सेक्शन में इस्तेमाल में लाए जाते है ये ग्लास फिल्ड लाइनर तकनीक में उच्च गुणवता के माने जाते है ये क्योकि यह एक पीस में बना है और खुद जंग से मुक्त होता है भारतीय रेल पर इसका बहुत पैमाने के साथ इस्तेमाल होता है यह भी फैसला लिया गया कि तटीय इलाके के लवणीय वातावरण और ऐसी जगहों पर जहाँ ओद्योगिक धुँआ के निर्माण के कारण कोरोजन संभवी है सिर्फ वही पर जीएफएन - 66 इस्तेमाल किया जाये
गोलटो इलास्टिक रेल क्लिप - 6 मिमी फ़्लैट टो इलास्टिक रेल क्लिप - 8 मिमी.
टालरेरेंस - +- 0.2 मिमी.
उर्ध्वाधर लेग मोटाई :-
3702 , 3706, 3738 और 3740 के लिये - 5.5 मिमी
3707, 3741 के लिए - 9 मिमी. 3708, 3742 के लिए - 15 मिमी
टोलरेंस - + - 0 से - 0.2 मिमी.
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