स्लीपरों के कार्य :-
आदर्श स्लीपर के गुण :-
(1) अनुरक्षण लागत कम होनी चाहिऐ ।
(2) रेल स्लीपर और फिटिंग का हैंडलिंग आसान होना चाहिए
(3) दुर्घटना के बाद तुरंत रिस्टोरेसन संभव हो
(4) मेटीरियल और डिजाइन उपलब्ध हो
(5) इसे चुराया या तोडफोड न किया जा सके ।
(6) यह सस्ता होना चाहिए
(7) यह ट्रैक सरकटिंग लिए उपयुक्त होना चाहिए
(8) स्लीपर का भार वितरण क्षेत्र इतना होना चाहिए की नीचे की गिट्टी कुचल न जाये ।
स्लीपर के प्रकार :-
भारतीय रेल में प्रायः निम्न स्लीपर का प्रयोग किया जाता है
(1) लकडी के स्लीपर
(2) कास्ट आयरन स्लीपर
(3) स्टील स्लीपर
(4) क्रंकीट स्लीपर
लकडी के स्लीपर :-
लकडी के स्लीपर का वर्णन :-
लकडी के स्लीपर की साइज (बीजी के लिए साधारण ट्रैक में मिमी में ) - 2750X250X130 टिकाऊ (यू)और अटिकाऊ (टी ) प्रकार के स्लीपर की आयु -
टिकाऊ - 19 साल ( बीजी)
अटकाऊ - 12 से 16 साल।
लाभ :
- बनाने और एक जगह से दुसरे जगह लाने ले जाने में आसानी
- ट्रैक सर्किटेड क्षेत्र के लिए उपयुक्त
- बैलास्ट के साथ या बिना बैलास्ट के प्रयोग में आना
- पुलया, प्वाइंट और क्रासंग लिए उपयुक्त
- एलाइनमेट आसानी से सही किये जा सकते है ।
कमियां
- कम आयु(अन्य स्लीपर की अपेक्षा )
- बीट पैकिंग से होने की संभावना
- गेज का मेंटिनेंस में कठनाइयाँ
- आग से क्षय होने की संभावना
स्लीपरों की एडजस्टिंग :- जब लकडी के स्लीपर बना बियरिंग प्लेट्स के प्रयोग लाये जाते है, तो इसे 20 में 1 के ढाल में एड्ज होना चाहिए । तथा इसे रेल सेक्शन के सह टेम लेट से प्लान होना चाहिए । स्लीपर के एड्ज भाग में 3 से 5 मिमी गहरा भाग रेल फुट को बैठने के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि स्पाइक के ऊपर क्षैतिज बल आने से स्पाइक टूट न जाऐ
स्लीपर की आगरिन्ग :
(1) जहाँ बियरिंग प्लेट्स प्रयोग किये गये, वहाँ स्पाइक के छेद स्लीपर के ऊध्वार दिशा में किया जाना चाहिए । जहाँ रेल स्लीपर पर सीधे बैठता है , वहाँ रेल सीट पर समकोण होना चाहिए ।
(2) टी केटेगरी स्लीपर के लिए बोरिंग ट्रीटमेंट के पहले होना चाहिए ।
(3) कुत्ता पन को निकलने के लिए आधार पर क्रो बार उँचा होना चाहिए ताकि पिन बिना छेद को बडा किये ऊध्वार्धर निकाला जा सके ।
(4) प्लेट/ रेल स्क्रु बॉक्स पाना से स्क्रु होना चाहिए और यह हथोडा से नही बैठाया जाना चाहिए ।
बियरिंग प्लेट का उपयोग -
(1) बियरिंग प्लेट टी वर्ग के स्लीपर पर आवश्यक रूप से लगानी चाहिए ।
(2) ये निचे लिखे स्थान पर अवश्य प्रयोग होना चाहिए-
(क) गडर्र पुलिया के सभी स्लीपर
(ख) टनर्आउट के सभी स्लीपर
(ग) एश पिट और एग्जामिनेशन पट के सभी टिम्बर पर
(घ) सभी ज्वाइंट स्लीपर
(ड) उन सभी तेज गोलाइयो पर जिनका रेडियस बीजी और एमजी में 600 मी से कम हो
(3) बियरिंग प्लेट को स्लीपर में फिक्स करने के लिए काला तेल के दो कोट लगाना चाहिए ।
रेल सीट पर स्क्रू / स्पाइक क संख्या -
(क) प्रति सीट पर स्क्रू/ स्पाइक नीचे दिये अनुसार होनी चाहिए-
(1) सभी जोड स्लीपर, ब्रजटम्, टनरआउट स्लीपर और एशपट टिंम्बर - चार
(2) गोलाइयो के मध्यवर्ती स्लीपर ब्रॉलाइन के अलावा दुसरे लाइन पर - तीन (दो बाहर साइड और एक अंदर साइड)
(3) गोलाइयो के मध्यवर्ती स्लीपर पर ब्रलाइन और सीधाइयो पर -दो (एक अंदर साइड और एक बाहर साइड)
(ख) जहाँ एसी बियरिंग प्लेट क्रीप रोकने लिए मध्यवर्ती स्लीपर पर प्रयोग लाए गये है, वहाँ स्क्रू /स्पाइक क संख्या प्रति प्लेट में चार और एमजी में तीन होनी चाहिए ।
(ग)1. जबदो स्क्रू / स्पाइक प्रयोग किये जाते है तब बाहर वाले स्पाइक स्लीपर के मध्य रेखा के एक तरफ तथा अन्दर वाला दूसूरी तरफ होना चाहिए ।
2. प्रयोग के कोलतार में डीप्ड होना चाहिए । यदि यह आवश्यक है कि स्पाइक निकाला और पु न: लगाया या स्पाइक का प्लेट में लगाना, वैसे छेद जो तुरंत बोर नहीं किये गये हो , ऐसे स्पाइक छेद को ध्यान पूवर्क पहले टाइट फटिंग टार वुडन प्लग्स से प्लग किया जाना चाहिए और स्पाइल लगाने से पहले पु न: बोर किया जाना चाहिए ।
3. मु. इंजी . के निर्देश के अनुसार जहाँ भी आवश्यक हो अलग से स्पाइक/ स्क्रू लगाये जाएँगे ।
लकडी के स्लीपरो की रीकंडीशनिंग :
सभी रिलिज्ड लकडी स्लीपर दोबारा उपयोग में लाये जाने के पहले केन्द्रीय डिपो में रिकडीशनिंग किया जाना चाहिए ।ट्रैक में खराबी रोकने के लिए स्पाइक किल्ड स्लीपर , जो अन्यथा अच्छी हालत में हो , रिकंडीशनिंग की व्यविस्थत परिपाटी इन सीटु प्रयोग की जानी चाहिए । जब स्लीपर का रिकंडसनींग डीपो में किया जाता है तो निम्नलिखित कार्य किये जाते है -
लकडी के स्लीपरो की रीकंडीशनिंग :
सभी रिलिज्ड लकडी स्लीपर दोबारा उपयोग में लाये जाने के पहले केन्द्रीय डिपो में रिकडीशनिंग किया जाना चाहिए ।ट्रैक में खराबी रोकने के लिए स्पाइक किल्ड स्लीपर , जो अन्यथा अच्छी हालत में हो , रिकंडीशनिंग की व्यविस्थत परिपाटी इन सीटु प्रयोग की जानी चाहिए । जब स्लीपर का रिकंडसनींग डीपो में किया जाता है तो निम्नलिखित कार्य किये जाते है -
(1) एंडबाइंडिंग
(2) रेल सीट का रेल एडिजंग
(3) कोलतार याक्रओसोट के साथ स्प्रेक
डेटिंग -
जब लकडी स्लीपर बिछाये जाते है तो उनके ऊपर बिछाने का वर्ष प्रत्येक स्लीपर मध्य पर शताब्दी के पहले दो अंक हटा कर ब्रांडेड किया जाता है। इस प्रकार 83 सूचित करेगा की स्लीपर 1983 में बिछाया गया है।सभी तारीखे एक ही दशा में होगी , जो डबल लाइन के संबंध में ट्रैफिक की दिशा की ओर और संगल लाइन के संबंध में बढते किलो मीटर की दिशा की ओर होगा। यू वर्ग के स्लीपर के संबंध डेटिंग बिछाने के समय में किया जायेगा और टी वर्ग के स्लीपर के संबंध में डेटिंग ट्रीटमेंट के पहले किया जायेगा।
कास्ट आयरन स्लीपर :
सीएसटी-9 स्लीपर पॉट, प्लेट और बॉक्स का कम्बीनेशन है और यह सेन्ट्रल स्टेंडर्ड ट्रायल कमिटी का नवाँ अनुमोदित ट्रायल है। दो सीएसटी प्लेट एक टाइ बार द्वारा चार कॉटर का प्रयोग करके जुडे होते है।- 5 से + 5 मिमी गेज एडजस्टमेंट संभव है ।टी.- 478 (एम.)और टी. - 443दो प्रकार के सीएस- 9 स्लीपर है बाद वाले स्लीपर को एंटी सैबोटेज स्लीपर माना गया है । प्रत्येक रेल या प्रत्येक पैनल में तीन एंटी सैबोटेज स्लीपर प्रयोग किये जाते है जिसमे दो शोल्डर और एक सेटर में प्रयोग किये जाते है। यह रिवर्स जॉ सीएसट-9 स्लीपर के नाम से भी जाना जाता है । सीएसट- 9 स्लीपर का वजन बीजी में 102 किग्रा . और एमजी में 58 किग्रा होताहै।
सीएसटी-9 स्लीपर ट्रैक पर कार्य के दौरान ली जाने वाली सावधानियाँ -
सीएसटी-9 स्लीपर पॉट, प्लेट और बॉक्स का कम्बीनेशन है और यह सेन्ट्रल स्टेंडर्ड ट्रायल कमिटी का नवाँ अनुमोदित ट्रायल है। दो सीएसटी प्लेट एक टाइ बार द्वारा चार कॉटर का प्रयोग करके जुडे होते है।- 5 से + 5 मिमी गेज एडजस्टमेंट संभव है ।टी.- 478 (एम.)और टी. - 443दो प्रकार के सीएस- 9 स्लीपर है बाद वाले स्लीपर को एंटी सैबोटेज स्लीपर माना गया है । प्रत्येक रेल या प्रत्येक पैनल में तीन एंटी सैबोटेज स्लीपर प्रयोग किये जाते है जिसमे दो शोल्डर और एक सेटर में प्रयोग किये जाते है। यह रिवर्स जॉ सीएसट-9 स्लीपर के नाम से भी जाना जाता है । सीएसट- 9 स्लीपर का वजन बीजी में 102 किग्रा . और एमजी में 58 किग्रा होताहै।
सीएसटी-9 स्लीपर ट्रैक पर कार्य के दौरान ली जाने वाली सावधानियाँ -
1. सीएसटी-9 स्लीपर के सभी भाग को समान रूप से पैकंग करना चाहए । कमजोर और दरार पडे स्लीपर के गिट्टी से नहीं ढकना चाहिए।
2. टाइ बार को जंग और रस्टिंग से बचाने के लिए 5 से 7 साल में एकबार ट्रीटमेंट करना चाहिए ।
3. वार्न आउट ट्रैक को अनुरक्षण के लिए लाइनर और ओवरसाइज चाबी प्रयोग में लाना चाहिए ।
4. 1.8किग्रा का हथौडा प्रयोग लाना चाहिए ।गैती का प्रयोग चाबी निकलने और लगाने में नहीं करना चाहिए ।
5. कॉटर का टेपर्ड पोसर्न सीएस-9 प्लेट क तरफ रखकर ही प्रयोग लाना चाहिए ।
6. सही मोटाई का पैड प्लेट और सैडल प्लेट का प्रयोग वर्न आउट रेल सीट पर क्रीप रोकने के लिए किया जाना चाहिये ।
कास्ट आयरन स्लपर के फायदे :
(1) कम जंग लगना
(2) कम वजन के कारण आसानी से एक जगह से दूसरी जगह लाना ले जाना।
(3) स्क्रैप की कीमत ज्यादा
कास्ट आयरन स्लीपर की कमियां :
कास्ट आयरन स्लीपर की कमियां :
(1) उच्च गति मार्ग के लिए उपयुक्त नहीं
(2) गेज बनाये रखने म कठनाई ।
(3) पार्श्व स्थिरता में कमी ।
(4) ट्रैक सर्किटेड क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं
(5) जंग लगने के कारण टाई बार कमजोर होना।
(6) मशीनी अनु रक्षण के लिए उपयुक्त नहीं
स्टील ट्रफ स्लीपर :
स्टील ट्रफ स्लीपर के प्रकार :
स्टील ट्रफ स्लीपर :
स्टील ट्रफ स्लीपर के प्रकार :
(1 स्टील ट्रफ स्लीपर प्रेस्ड अप लग्स के साथ
(2) स्टील ट्रफ स्लीपर लूज जा के साथ।
(3) बोल्ट और क्लिप प्रकार के स्टील ट्रफ स्लीपर।
(4) टर्न आऊट के लिए विशेष प्रकार के स्टील ट्रफ स्लीपर।
(5) ईआरसी के साथ प्रयोग में आने वाला पैड प्लेट्स के साथ स्टील ट्रफ स्लीपर।
स्टील ट्रफ स्लीपर के फायदे :
(1) लंबी आयु
(2) अन्य स्लीपर से अच्छी स्थिरता
(3) एक जगह से दुसरे जगह ले जाने में / टांसपोटर् करने में कम नुकसान।
(4) गेज अनुरक्षण में आसानी।
(5) बनाने की आसान प्रक्रिया
6) उच्च स्क्रैप कीमत
एसटी स्लीपर की कमिया :
एसटी स्लीपर की कमिया :
(1) जंग से नुकसान।
(2) ट्रैक सर्किटेड क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं
(3) सर्विस के दौरान रेल सीट एरिया में ब्रेक में क्रेंक विकसित होना
(4) जिस रेल खंड के लिए बनाया गया हो उसी के लिए उपयोग में आना।
क्रंकीट स्लीपर -
क्रंकीट स्लीपर के प्रकार :
क्रंकीट स्लीपर के प्रकार :
(1) मोनो-ब्लॉक प्री स्टेस्ड क्रंकीट स्लीपर
1. पीसीएस-12 52किग्रा . रेल के लिए (आरटी -2495)
2. पीसीएस-14 60 किग्रा. रेल के लिए(आरटी –2496)
(2) ट्विन ब्लॉक क्रंकीट स्लीपर
पीसीएस-12 / पीसीएस-14 स्लीपर के मुख्य बिंदु - लंबाई -2750 मिमी. वजन-267किग्रा.
रेनफोर्समेंट - 18 नंबर 3X3 मिमी. व्यास एचटीएस स्ट्रेंड्स
रेलसीट पर इंसर्ट - 52 किग्रा..- 148 मिमी 60 किग्रा -162मिमी
सर्विस आयु – 50 से 60 वर्ष
क्रंकीट स्लीपर के फायदे -
पीसीएस-12 / पीसीएस-14 स्लीपर के मुख्य बिंदु - लंबाई -2750 मिमी. वजन-267किग्रा.
रेनफोर्समेंट - 18 नंबर 3X3 मिमी. व्यास एचटीएस स्ट्रेंड्स
रेलसीट पर इंसर्ट - 52 किग्रा..- 148 मिमी 60 किग्रा -162मिमी
सर्विस आयु – 50 से 60 वर्ष
क्रंकीट स्लीपर के फायदे -
(1) अधिक स्थायित्व
(2) लंबे समय के लिए ट्रैक ज्यामिति अनुरक्षित इस प्रकार किफायती
(2) लंबे समय के लिए ट्रैक ज्यामिति अनुरक्षित इस प्रकार किफायती
(3) मशीनी अनुरक्षण के लिए सबसे अच्छा
(4) ट्रैक सर्किटेड क्षेत्र के लिए उपयुक्त
(5) आग / जंग से क्षति होने की कोई संभावना नहीं ।
(6) चोरी की कोई संभावना नहीं ।
(7) गेज फैलने की कोई संभावना नहीं ।
(8) 60 किग्रा.. स्लीपर52किग्रा रेल के लिए भी उपयुक्त
(9) एलडब्लूआर ट्रैक लिए सबसे अच्छा
(10) प्वांइट और क्रासिंग , गार्ड रेल , लैवल क्रासिंग, गोलाइ में चेक रेल में सबसे अच्छा
कमियां -
कमियां -
(1) भारी होने की वजह से बिछाने और हैंडलिंग में कठनाई ।
(2) डिरेलमेंट में क्षति बहुत ज्यादा होती है
(3) स्क्रैप की कोई कीमत नही होती है
( 1) एलडब्लूआर ट्रैक पर अनुरक्षण शेड्यूल के लिए एलडब्लूआर मैनुअल में दिये हुए विशेष अनुदेश का अनुसरण कर।
(2) जरूरत के अनुसार वर्ष के किसी भी समय में रेलों और स्लीपरों का आकस्मिक नविनीकरण किया जायेगा।
(3) एलडब्लूआर मैनुअल के निर्देशों के अनुसार एलडब्लूआर का डिस्ट्रेसंग जरूरत अनुसार किया जायेगा और रे.प. निरीक्षक के द्वारा शेड्यूल तैयार किया जायेगा।
(4) टेम्पर के कार्य सूची के अनुसार मेन टैिम्पग , प्री टेिम्पंग और पोस्ट टैिम्पंग कार्य किये जायगे । पीडब्लूआइ और एडीइएन को मशीन के कार्य के एक महिना ले सूचना होनी चाहिए ताकि वे प्री टैिम्पंग कार्य पूरा कर सके
(5) निर्देश के अनुसार साल के सभी दिनों मे चाबीदार द्वार ईआरसी का लुब्रीकेशन किया जायेगा।
(6) फिश प्लेटेड जोड का आँख द्वारा निरीक्षण और ऑइलिंग ग्रीसिंग किया जाये
क्रंकीट स्लीपर पर फैन शैप्ड टर्नआउट :
क्रंकीट स्लीपर पर फैन शैप्ड टर्नआउट :
स्वीच , लीड तथा क्रॉसिंग भाग के नये ड्राइंग के अनुसार सभी फिटिंग की उपलब्धता कार्य स्लीपर पर सुनिश्चत करे । पूरा टर्नआउट लेइंग साइट के नजदीक समान लेवल मैदान पर संग्रहित किये जाये या टनर्आउट संबंधित लूप लाइन पर लाल / नीला, गोल निशान स्लीपर के दायाँ हाथ साइड मे रखे जायेगे चाहे टनर्आउट दायाँ हाथ हो या बायाँ हाथ स्लीपर के स्पेसिंग पूर्णत : लेआउट ड्राइंग अनुसार होना चाहिए । स्लीपर सिर्फ स्विच भाग मे सीधे ट्रैक के लंमबत होगा।लीड पोसर्न मे स्लीपर प्वाइंट पर नल और गोलाई के बीच बने कोण के आधे पर झुका होगा।सही लेआउट सुनिश्चत करने के लिए जो स्लीपर स्वीच से लीड और लीड से क्रासिंग ट्रांजीशन मे आ रहे है, उनपर विशेष ध्यान देना चाहिए ।
लीड भागमे स्लीपर का स्पेसंलेआउट ड्राइंग के अनुसार फैन शेप्ड टनर्आउट जैसा होना चाहिए।दोनो रेल के लिए स्पेसिंग लग-अलग करना चाहिए ।दोनो रेल पर अलग-अलग स्पेसंगलेआउट का लीड भाग मे फेन शेप बनाताहै।क्रासिंग भाग मे स्लीपर क्रासिंगको दो भागमे बाँटनेल रेखा के लम्बवत रहेगा । स्लीपर . 3 और 4हाउसंग के लए प्रयोग म लाये जा सकते है।साथही स्लीपर का बढा हुआ भाग उल्ट दशा मे तभी रखे जा सकते है , जब इसे टाला नही जा सकताहै। स्वीच भाग के आगे एप्रोच स्लीपर लग चाहिए ।ये रेल टाप (1:20) के ढाल को धीरे-2 समाप्त करते है।टनर्आउट पर स्लीपर की संख्या -
8.5 मे 1 54+ 5 + 4 + 4 = 67 स्लीपर
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