इंजीनियर कार्यो के प्रकार -
इंजीनियरिंग कार्यो को मुख्यत; तीन वर्ग में विभाजित किया जा सकता है -
(1) वर्ग 1 - नियमित अनुरक्षण के कार्य :- ऐसे कार्यो के लिये गति प्रतिबन्ध की जरूरत नही होती है और हाथ सिग्नल दिखाने की भी जरूरत नही होती है जिससे गडियो को कोई खतरा नही होता है रूटीन अनुरक्षण के कार्य थ्रू पैकिंग , पीकिंग अप स्लेक्स रेलपथ की ओवरहालिंग इत्यादि है
(ब) गाडियों के बचाव के लिये हाथ सिग्नल , बैनर फ्लैग और फाग सिग्नलों का प्रयोग निर्दिष्ट दूरियों पर किया जायेगा
(3) वर्ग 3 - लम्बी अवधि के कार्य :- (अ) रिलेइंग , पुल निर्माण , कुछ दिनों , सप्ताहों तक चलने वाले डाइवर्शन कार्य जिसके लिये लगातार गति प्रतिबंध की आवश्यकता होती है लम्बी अवधि के कार्य कहे जाते है
(ब) गाडियों के बचाव के लिये निर्दिष्ट दूरियों पर अस्थायी इंजीनियरिंग स्थिर सिग्नल लगाये जायेगे ये सभी कार्य एक कार्यक्रम के तहत किये जायेगे और सभी संबंधित को इसके बारे में अवगत कराया जायेगा
छोटी अवधि के कार्य :-
ब्लाक सेक्शन में बचाव और गाडियों के गुजरने की विधि - इस प्रकार का कार्य शुरू करने से पहले रेल पथनिरीक्षक या अधिकृत रेल कर्मचारी को ब्लाक सेक्शन के प्रत्येक सिरे पर ब्लाक हट के इंचार्ज / स्टेशन मास्टर को सूचना जारी करना चाहिये और उनकी स्वीकृति लेनी चाहिये कार्य स्थल से गाडी को रुककर अथवा गति प्रतिबन्ध से जाने के लिये , लाइनो का बचाव निम्न तरीको से करना चाहिये -
(1) जब गाड़ी को कार्य स्थल पर रुकने की जरूरत है (ब्लाक सेक्शन में) -
(अ) कार्य स्थल क्र पीछे 30 मीटर की दूरीई पर एक झंडेवाले को रोको हाथ सिग्नल दिखाने के लिये रोक हाथ सिग्नल के साथ नियुक्ति
(ब) कार्यस्थल के पीछे ब्रांड गेज पर 600 मी और मीटर गेज तथा नैरोगेज पर 400 मी. की दूरी पर रेलपथ के लंबवत बैनर फ्लैग लगाना तथा रोक हाथ सिग्नल के साथ एक झंडेवाले की नियुक्ति
(स) कार्य के पीछे में बीजी में 1200 मी और एमजी / एन जी में 800 मी. की दूरी पर एक फ्लेगमेन तीन पटाखों को लाइन पर 10 - 10 मी. की दूरी पर लगायेगा और तीनो पटाखों से कम से कम 45 मी. की दूरी पर ऐसी जगह खड़ा होगा जहाँ से आने वाली ट्रेन को वह स्पष्ट देख सके और वह रोक हाथ संकेत दिखायेगा मीटर गेज सेक्शन में जहाँ गाडियों 75 किमी / घंटा से अधिक गति से चलती है तो (ब) तथा (स) में दूरी विशेष अनुदेशों के अनुमोदन के साथ बढ़ा दी जायेगी
(द) अवरोध स्थल पर आदमी ड्राइवर को यह सूचित करने के लिये आगे बढो का हाथ संकेत दिखायेगा कि गाडी अवरोध स्थल से गुजरने के बाद वह सामान्य गति ग्रहण कर सकता है
(2) जब ब्लाक सेक्शन में गाड़ी कार्य स्थल से प्रतिबंधित गति से गुजर सकती हो :-
(क) अवरोध से 30 मी. की दूरी पर सतर्कता हाथ संकेत दिखाते हुये एक फ्लेगमेन नियुक्त करे
(ख) अवरोध स्थल से बीजी में 600 मी. एमजी / एनजी में 800 मी. पर सतर्कता का हाथ संकेत दिखाते हुये एक फ्लेगमेन को नियुक्त करे
(ग) अवरोध स्थल से बीजी में 600 मी. और एमजी / एनजी में 400 मी. लकी दूरी पर बीच में एक झंडे वाला नियुक्त किया जायेगा वह ट्रैक के आर - पार बैनर फ्लेग लगायेगा बीच में एक झंडे वाला नियुक्त किया जायेगा वह ट्रैक के आर - पार बैनर फ्लेग लगायेगा बीच वाला बैनर फ्लेग लाइन के आर - पार तब तक लगा रहेगा जब क गाड़ी की गति कम नही हो जाती , इसके बाद बैनर फ्लेग को हटायेगा और गाडी को आगे बढने के लिये हाथ सिंगल दिखायेगा मीटर गेज सेक्शन में जहाँ गाडियों 75 किमी / घंटा से अधिक गति से चलती है तो (ख) तथा (ग) में दूरी विशेष अनुदेशों के अनुमोदन के साथ बढ़ा दी जायेगी
(घ) कार्य स्थल रेलवे कर्मचारी ड्राइवर को आगे बढने का इशारा हाथ सिग्नल से करेगा कि कार्य स्थल से निकलने के बाद वह सामान्य गति को ग्रहण कर सकता है
(3) जब ट्रैक का बचाव उपरोक्त सब पैरा (1) और (2) को ध्यान में रखते हुये किया जा रहा हो तो निम्नलिखित बिन्दुओ को ध्यान में रखना चाहिए :-
(क) इकहरी लाइन पर बचाव कार्य के दोनों ओर करना चाहिए
(ख) उन स्थानों पर जहाँ कर्व या ढलान हो और द्रश्यता कम हो तो उप - पैरा (1) और (2) में दी गयी उपरोक्त दूरी को सुविधानुसार जहाँ आवश्यक हो, दिखा सकते है और बीच में हाथ सिग्नल को आदान - प्रादान (रिले) के लिये नियुक्त कर सकते है
(ग) ट्रेन रोकने के लिये बैनर फ्लेग , पटाखे और हाथ झंडियो को जहाँ तक संभव हो लगातार चढ़ते ढलान में नही लगाने चाहिए
(घ) यदि आपातकाल में रात में ऐसे कार्य करना आवश्यक हो तो लाइन का बचाव उप - पैरा (1) और (2) में वर्णित के अनुसार आने वाली गाड़ी की दिशा में हाथ झंडी एवं बैनर फ्लेग के स्थान पर लाल बत्ती का प्रयोग किया जाना चाहिए
(स) आपातकाल में \, जब यह संरक्षा के लिये आवश्यक हो तो सिगनलमेन को नोटिस जारी करने के पहले रेल पथ निरीक्षक या रेलवे का अधिकृत कर्मचारी लाइन का बचाव करने के बाद ऐसा कार्य शुरू कर सकता है यदि काम अधिक समय का हो तो उस सिग्नल मेन को जितनी जल्दी संभव हो उतनी जल्दी सूचना देनी चाहिए
(4) यदि कार्यत स्टेशन सीमा के अंदर किया जा रहा है :-
(क) स्टेशन मास्टर से लिखित अनुमति के बैगर चालू लाइन पर कोई नही करना चाहिए और जब तक संबंधित सिग्नल को आन न क्र दिया गया हो
(ख) ऐसी लाइन जिसको दूसरी चालू लाइन से प्रथक किया जा सके तो रेलपथ निरीक्षक कार्य शुरू करने के पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस सके तो रेलपथ निरीक्षक कार्य शुरू करने के पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस लाइन को प्रथक कर दिया गया है और तालित करने वाली चाबी उसके पास है जहाँ प्रथक्कीकरण कांटो को सेट करके प्रभावित होता है तो उन्हें क्लैम्प या बोल्टो और काटरो से तालित होना चाहिए
(ग) जो लाइन दूसरी चालू लाइनों से प्रथक नही की जा सकती तो रेल पथ निरीक्षक को कार्य शुरू करने के पहले वर्णित हाथ झंडी , पटाखे और बैनर फ्लैग लगाना चाहिए
(5) स्वचालित क्षेत्र में कार्य :- स्वचालित खंड में यदि कार्य स्थान / अवरोध की दूरी स्वचालित संकेत बीजी में 1200 मी. एम जी / एन जी में 800 मी से km है और स्वचालित संकेत (आन) स्थिति में सुरक्षित है बैनर फ्लेग और तीन पटाखे क्रमश: 90 मी. और 180 मी. पर लगाये जायेगे
लम्बी अवधि के कार्य :-
(1) प्राथमिक व्यवस्थाये :-
(क) ऐसे काम शुरू करने के लिये इंजीनियरिंग विभाग , यातायात विभाग के साथ बताये गये अनुदेह्सो के अनुसार सरकूलर नोटिस जारी करेगा
(ख) संबंधित मंडल अभियंता , यदि आवश्यक है तो , रेलवे संरक्षा आयुक्त की स्वीकृति प्राप्त करने के लिये उत्तरदायी होगा और ऐसे कार्य पूरे होने पर संरक्षा प्रमाणपत्र भेजेगा
(ग) रेल पथ निरीक्षक को कार्य शुरू करने की अनुमति मंडल इंजीनियर / सहायक मंडल इंजीनियर से लेनी चाहिए और जब कार्य को नियंत्रक / मुख्य नियंत्रण की अनुमति से दिन के ब्लाक में करना प्रस्तावित हो तो रेल पथ निरीक्षक उस लाइन के ब्लाक की व्यवस्था करेगा
(घ) आवश्यकतानुसार संबंधित स्टेशन मास्टर रे. प. नि. द्वारा दिए गए सतर्कता आदेश जारी करेगा
(च) आवश्यक अस्थाई इंजीनियरिंग संकेत निर्धारित दूरी पर लागाये जाने चाहिये
(छ) आपातकाल में जब संरक्षा की द्रष्टि से आवश्यक हो तो रेल पथ निरीक्षक या प्राधिकृत रेलवे कर्मचारी बैनर फ्लेग और हाथ संकेतो के द्वारा बचाव करके नोटिस जारी करने के पहले ही कार्य को शुरू कर सकता है शीघ्रातिशीघ्र उसको नोटिस जारी करना चाहिये और हाथ संकेत व बैनर फ्लेग को हटाकर अस्थायी इंजीनियरिंग बोर्ड लगाने चाहिए
(2) ब्लाक सेक्शन में लाइन की सुरक्षा -
(अ) ऐसी अवस्था जहाँ स्टॉप डैड का प्रतिबंध लागू किया जाना हो और प्रतिबंध एक दिन से अधिक चलना हो, वहाँ उचित दूरी पर निम्नलिखित अस्थायी इंजीनियरिंग संकेतको को प्रदर्शित किया जाना चाहिए :-
(i) काशन इंडिकेटर (सतर्कता संकेतक)
(ii) स्टॉप इंडिकेटर (रोक संकेतक)
(iii) टर्मिनेशन इंडिकेटर (समाप्ति संकेतक)
(ब) ऐसी स्थिति जहाँ गाड़ी को रोकना नही हो और प्रतिबंध एक दिन से अधिक चलने की संभावना हो तो निम्नलिखित अस्थायी इंजीनियरिंग संकेतक उचित दूरी तक दर्शाए जाने चाहिए :-
(i) काशन इंडिकेटर (सतर्कता संकेतक)
(ii) स्पीड इंडिकेटर (गति संकेतक )
(iii) टर्मिनेशन इंडिकेटर (समाप्ति संकेतक)
टिप्पणी :- (1) जब कार्य के चलने के दौरान, सुरक्षा की द्रष्टि से कुछ समय तक कार्यस्थल से गाड़ी को पास करना मुमकिन न हो तो प्राधिकृत रेलवे के द्वारा हाथ झंडी संकेत और बैनर फ्लेग से ट्रैक की सुरक्षा की जानी चाहिए
(3) स्टेशन सीमाओं में लाइन की सुरक्षा :-
मंडल रेल प्रबंधक (संचालन ) के द्वारा मंडल इंजीनियर और मंडल संकेत और दूर संचार इंजीनियर से सलाह करके अस्थायी इंजीनियरिंग संकेतको का स्टेशन के स्थायी संकेतो के साथ प्रयोग हेतु विशेष अनुदेश जारी जाएगे आपात स्थिति में रे. प. नि. की मांग पर स्टेशन मास्टर ऐसे आदेश जारी करेगा
अस्थायी इंजीनियरिंग स्थिर सिग्नल - स्थान और विवरण -
(क) काशन इंडिकेटर
(ख) गति संकेतक
(ग) रोक संकेतक
(घ) टर्मिनेशन इंडिकेटर (टी / पी व टी / जी)
(2) बहु गति प्रतिबंध (लगातार दो या दो से अधिक गति प्रतिबंधो का अस्तित्व में होना)
जब गहरी छनाई या स्लीपर नवीनीकरण का कार्य प्रगति में हो तो लगातार दो या दो से अधिक गति प्रतिबंध के मौजूद होने की स्थिति होती है ऐसी अवस्था में निम्नलिखित गति प्रतिबंध के मौजूद होने की स्थिति होती है ऐसी अवस्था में निम्नलिखित गति प्रतिबंध के लिए अस्थायी इंजीनियरिंग संकेतक की स्थिति निम्न प्रकार से होगी :-
(i) जब बाद में आने वाला गति प्रतिबंध अधिक सख्त हो तो पहले गरी नही हो तो, पहले वाला गति प्रतिबंध भी दूसरे गति प्रतिबंध के समान होगा जो कि पहले से अधिक सख्त है
(ii) वह अवस्था जहाँ, बाद में आने वाला गति प्रतिबंध कम सख्त हो तो गति प्रतिबंध का बोर्ड पहला गति प्रतिबंध जोन समाप्त होने के स्थान से लेकर सेक्शन में चलने वाली सबसे लम्बी मालगाड़ी की लम्बाई के बराबर की दूरी छोडकर लगाया जाएगा
(3) रात के समय के दौरान , इंजीनयरिंग संकेतक जो रिफ्लेक्टिव टाइप के नही है उनके लैंप सूर्यास्त के समय जलाए जाने चाहिए और रात भए जलते रहने चाहिए जहाँ रात में गाड़ियां चलती है रिफ्लेक्टिव प्रकार वालो में लैम्प जलाने की आवश्यकता नही होती है
(4) तिहरी या अनेक लाइनों के सेक्शन के बीच के ट्रैक के लिए इंजीनियरिंग संकेतक ट्रैक के बीच में रेल लेवल से 300 मिमी के भीतर लगाए जाने चाहिए ताकि मानक माप के उल्लंघन से बचा जा सके
(5) सभी इंडिकेटर बायीं तरफ लगाये जाने चाहिए जैसे कि चालक द्वारा देखे जाते है सिवाय सी टी सी खंड (इकहरी लाइन) के जहाँ उन्हें तरफ लगाया जाना चाहिए
(6) प्रत्येक रेलपथ निरीक्षक के पास कम से कम संकेतो का एक पूरा सेट होना चाहिए जिसमे दो क्षण इंडिकेटर , दो गति संकेतक , दो स्टॉप इंडिकेटर और दो सेट टर्मिनेशन इंडिकेटर (दो टी / पी और दो टी / जी इंडिकेटर )
(7) एक टर्मिनेशन इंडिकेटर जिस पर टी /जी लिखा हो , कार्य स्थल से सेक्शन में संचालित होने वाली सबसे लम्बी मालगाड़ी की लम्बाई पर टी / पी लिखा हो, उसे कार्य स्थल से सेक्शन में संचालित सबसे लम्बी पैसेंजर गाडी की लम्बाई के बराबर दूरी इंडिकेटर पर पहुंचने पर बिना समय गवाए स्पीड बढ़ा लेने के लिए सहायता करेगा सबसे लम्बी गाड़ी से छोटी पैसेंजर गाड़ी का गार्ड अपने चालक को गाड़ी के प्रतिबंधित दूरी पर से अंतिम गाड़ी पास होने पर (आल क्लियर ) का संकेत देगा और चालक अपनी गाड़ी की सामान्य गति पुन: प्राप्त कर लेगा लाइट इंजन या सिग्नल यूनिट रेल कार के मामले में चालक प्रतिबंधित दूरी पास होते ही सामान्य गति पकड़ लेगा
अस्थायी गति प्रतिबंध :-
वह गति प्रतिबंध जो कि रेलपथ निरीक्षक द्वारा कार्य की समाप्ति तक अस्थायी तौर पर लगाया जाता है अस्थायी गति प्रतिबन्ध कहलाता है यह प्रतिबन्ध लम्बी अवधि तक बढ़ाया नही जाता अत: इसे संचालन समय सारिणी में सम्मिलित नही किया जाता है चूकि यह प्रतिबन्ध संचालन समय सारिणी में सूचित नही है अत: स्टेशन मास्टर सभी गाडियों के ड्राइवर को सतर्कता आदेश जारी करता है जिसमे किमी , अप / डाउन , रुकना या गति प्रतिबन्ध जैसा भी हो दर्शाता है
स्थायी गति प्रतिबंध :-
किसी स्थान पर लगाया गया गति प्रतिबन्ध जो अधिकतम अनुमत गति से कम हो स्थायी गति प्रतिबन्ध कहलाता है ये जगहे शार्प गोलाई , कमजोर फार्मेशन , कमजोर पुलिया , टर्नआउट , गोलाई के ट्राजिशन में टर्नआउट आदि हो सकते है यह गति प्रतिबन्ध 6 महीने से ज्यादा समय के लिए बढ़ाया जा सकता है इसलिये इसे स्थायी गति प्रतिबन्ध कहते है यह गति प्रतिबन्ध प्रतिवर्ष जुलाई को मुख्य परिचालन प्रबंधक द्वारा वर्किंग समय सारिणी में सम्मिलित किया जाता है इसलिए इस सतर्कता आदेश को स्टेशन मास्टर द्वारा ड्राइवर को नही दिया जाता गति प्रतिबन्ध जिन्हें वर्किंग समय सारणी में हटाया या आफिस में रेलपथ निरीक्षक द्वारा भेजा जाना चाहिए , ताकि उसे संचालन समय सारिणी में सम्मिलित कर सके स्थायी गति प्रतिबन्ध पर रात के समय सारिणी मे सम्मिलित कर सके स्थायी गति प्रतिबन्ध पर रात के समय बत्ती जलाने की आवश्यकता नही है
ड्राफ्ट सर्कुलर नोटिस (डी सी एन) :-
जब लम्बे आवधिक कार्य जैसे नवीनीकरण , पुल का पुनरुत्थान कार्य , जिसमे कि अन्य विभाग जैसे कि सिग्नल और दूरसंचार , वाणिज्य , प्रचालन आदि सम्मिलित हो, ऐसे कार्य शुरू करने से पहले एक अनुबंध प्रकाशित किया जाता है जिसमे संबंधित विभागों द्वारा किये जाने वाले कार्यो का विवरण , उनके कर्तव्य और निर्देश होते है संबंधित विभागों के कर्मचारी सर्कुलर को मानने के लिए बाध्य होते है सर्कुलर नोटिस परिचालन विभाग द्वारा प्रकाशित किया जाता है तथा सर्वसंबंधित को वितरित किया जाता है
(1) कार्य का प्रकार
(2) स्टेशनों के बीच
(3) कार्यस्थल
(4) अप / डाउन
(5) गति प्रतिबन्ध
(6) कार्य की अवधि
(7) गाडियों के आवागमन पर प्रभाव
ड्राफ्ट सर्कुलर नोटिस (डी सी एन) :-
जब लम्बे आवधिक कार्य जैसे नवीनीकरण , पुल का पुनरुत्थान कार्य , जिसमे कि अन्य विभाग जैसे कि सिग्नल और दूरसंचार , वाणिज्य , प्रचालन आदि सम्मिलित हो, ऐसे कार्य शुरू करने से पहले एक अनुबंध प्रकाशित किया जाता है जिसमे संबंधित विभागों द्वारा किये जाने वाले कार्यो का विवरण , उनके कर्तव्य और निर्देश होते है संबंधित विभागों के कर्मचारी सर्कुलर को मानने के लिए बाध्य होते है सर्कुलर नोटिस परिचालन विभाग द्वारा प्रकाशित किया जाता है तथा सर्वसंबंधित को वितरित किया जाता है
(1) कार्य का प्रकार
(2) स्टेशनों के बीच
(3) कार्यस्थल
(4) अप / डाउन
(5) गति प्रतिबन्ध
(6) कार्य की अवधि
(7) गाडियों के आवागमन पर प्रभाव
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