रेल के टूटने / वेल्डींग फेल हो जाने के मामले में कि जाने वाली कार्यवाही :
(1) यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जब कभी किसी रेल वेल्ड किये हुए जोड़ में टूटन दखाई दे तो रेलपथ को यदि आवश्यक हो तो प्रतिबंधित गति के साथ ट्रेन प्रचालित करने के लिए अविलम्ब कार्यवाही की जानी चाहिए ।
(2) मेट, चाबी वाला या गैंगमेन को चाहिए कि रेल की टूट-फूट या वेल्ड फेल होने को देखते ही सर्वप्रथम रेलपथ की सुरक्षा करे जब तक की मरम्मत न हो जाए । उसे चाहिए की निकटतम स्टेशन मैनेजर को सूचना भेज दे।
(3)फिश प्लेटयुक्त या एसडब्लूआर रेलपथ के मामले में यदि टूट-फूट 30 मिली मीटर से कम गैप के साथ हो तो टूटे हुए भाग को लकडी के ब्लॉक पर अथवा दोन और से निकटतम स्लीपरों को सरकाकर सहारा दिया जाना चाहिए । एलडब्लूआर के मामलो में टूटी रेल को क्लैम्प भी किया जाना चाहिए
(4) यदि टूट-फूट 30 मिली मीटर से अधिक हो तो क्लैम्प के साथ उचित लम्बाई मे किसी क्लोजर का उपयोग किया जाए ।
(5) उन मामलो में जहाँ रेल का कोई छोटा सा भाग या टूटा निकल गया हो या रेल कई जगह से टूट गई हो तो वहाँ रेल को बदल दिया जाए ।
(6) वेल्ड के खराब हो जाने के मामलो में जॉगल फिश प्लेट और क्लैम्प का उपयोग किया जाना चाहिए ।
(7)आपातकाल न मरम्मत को पूरा हो जाने के पश्चात् रेलगाडी मेट/या चाबीवाले द्वारा 20 किलो मीटर प्रति घंटा की गति से गाडी पास करायी जाए जब तक की रेलपथ पदाधिकारी रेलपथ को बदल ना दिया जाये।
(8) यद रेल बहुत अधिक जगह से टूटती हो तो सुबह से ही अतिरिक्त चाबीवले की गस्त शुरू की जानी चाहिए ।
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